"नाम" नागेश जय गुरुदेव (दीपक बापू)

शुक्रवार, 5 अगस्त 2016

कुछ यूँही

लोगो की फितरत होती है बदलने की
लोगो की फितरत होती है मुकरने की
लोग बदलते है तो चलता है!
हम बदलते है तो ज़माना "जलता" है!

तुझसे एक ख्वाहिश है ज़िन्दगी मिले दोबारा तो इन लोगो के बिच ना मिलना
तुझसे एक ख्वाहिश है ज़िन्दगी मिले दोबारा तो इन लोगो के बिच ना मिलना
ये वह लोग है जो तुझपे हँसते है, तुझीसे भीख भी मांगते है और तेरी ही चर्चा करते है!

दामन में इनके दाग हजार है! फिर भी दुसरो पे कीचड़ उछालना इनकी आदत है!
दामन में इनके दाग हजार है! फिर भी दुसरो पे कीचड़ उछालना इनकी आदत है!
हम तो अनजान निकले इनकी फितरत से सर्फ एक्सेल लेके पहुच गए!

ये करना नहीं जानते है! सिर्फ बातो के धनि होते है!
जब दुनिया डूबती है तो ये चैन से घर में सोते है!
निकलते है चाँद की तरह सूरज के ढल जाने के बाद!
जब मुसीबत टल जाती है तो आते है निभाने साथ!

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