"नाम" नागेश जय गुरुदेव (दीपक बापू)

बुधवार, 23 नवंबर 2016

तेरा जनम मरण मिटी जाए! रे मूर्खा फोगट फेरा थाए! (Original version By Nagesh)

तेरा जनम मरण मिटी जाए! रे मूर्खा फोगट फेरा थाए! (Original version By Nagesh)

साखी
प्रथम नमु परिब्रह्म खुदा को, जो है परम आनंद स्वरूपी
बीजे नमु गुरुदेव पीया को, जेने मोहे ज्ञान दियो है गेबी
त्रीजे सब संत सज्जन को, पीर फ़क़ीर की जात अभेदी!
दास सत्तार कहे समझा कर, शबद समझ कर पि पि पि!!

भजन (तेरी जाए घडी अनमोल मनवा ईश्वर अल्लाह बोल)

तेरा जनम मरण मिटी जाए! रे मूर्खा फोगट फेरा न थाए!
तेरा जनम मरण मिटी जाए! रे मूर्खा फोगट फेरा न थाए!!(टेक)

ओहम सोऽहं नाम शबद है,
जाप अजंपा में नाम जपत है!!
काहे ना गुणला गाये, रे मूर्खा फोगट फेरा न थाए!(१)

एक शबद है एक ही नामा,
एक रहीम है एक ही रामा!!
एक हरी ने भजाये, रे मूर्खा फोगट फेरा न थाए!(२)

इंगला पिंगला ने सुरता नारी,
नाभि कमल से होवे विस्तारी!!
सुखमन टेक थी जाए,  रे मूर्खा फोगट फेरा न थाए!(३)

सत्-चित्त, वचन की डोर धरी ले,
आतम तत्व ने पावन करि ले!!
शुन्य महल मा जगाय, रे मूर्खा फोगट फेरा न थाए!(४)

दास "नागेश" कहे समझाकर,
अधर तखत आसन पधराकर!!

गुरु बिन जो गुणला,  रे मूर्खा फोगट फेरा न थाए!(५)

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