"नाम" नागेश जय गुरुदेव (दीपक बापू)

बुधवार, 25 मई 2016

साखी संग्रह saakhi sangrah સાખી સંગ્રહ

साखी संग्रह saakhi sangrah સાખી સંગ્રહ
ગુજરાતી સાખી નું સંગ્રહ
गुजराती साखी के संग्रह

१) पापा पापा सब कहे, माता कहे न कोई
पापा के दरबार में जो माता कहे सो होए

२) इश्क़ करने वाले को वहदत का मज़ा मिलता है
इश्क़ सच्चा हो अगर तो बन्दे को खुदा मिलता है

३) रहे बंदगी से दूर वह बन्दा नहीं होता
रखे जो बंदे से परहेज वह मौला नहीं होता
बता मेरे मौला सजदा करू तो किधर करू
दोनों की शकल एक है, खुदा कहु तो किसको कहू

४) आदमी का जिस्म क्या है, जिसमे सेह्ता है ये जहां
एक मिटटी की इमारत बनी, एक मिटटी का है मकान!
खून की धारा बने ईंट है इसमें हड्डिया
और चाँद साँसों पे खड़ा है ये खयाली आसमान
मौत के पुरजोश से जिस दिन ये आँधी टकराएगी
टूट के ईमारत ये उस दिन ख़ाक में मिल जाएगी

५) ख़ाक में तो हम मिल गए दोस्तों, ख़ाक में घर बार मिला
जोगी बन बन दर बदर भटके, फिर भी न वह दिलदार मिला
दीवाना कहते है है मुझको तो सिर्फ नादानी है!
मैं हूँ दाना  और ये दुनिया दीवानी है!

६) (१) "पहली सलामी पृथ्वी ने करिये, जेने पीठ पर पग दई फरिये
           करू परिक्रमा शीश नामवि, सवा शेर माटी नि जेने काया बनावी"

    (२) "बीजी सलाम करू अन्न, जल, अग्नि, जिव्हा डोरी ये जग जगनी
          आपणी  श्रुष्टि आपणे खावे, बीजी सलाम करू  मन भावे"

    (३) "त्रिजी सलाम करू त्रिकाला, चन्द्रमा भान मोठा महिपाला
          अवे आप श्रुष्टि मा करो अंजुवाला"

    (४) "चौथी सलाम मा चारो खाणी, एक बीजक नि जगत बंधाणी
          अविनाशी पर्चो छे एमा, चौथी सलाम नि मोठी महिमा"

    (५) "पांचवी सलाम करू  पहाड़ वन खण्डी, जेने  वेक्खि तापी अने ठंडी
          शरीर वेराय सेव काय कीधी, पांचवी सलाम रहो सौ रीझि"

    (६) “छठी सलाम करू सतवाचा, सत्कर्म मन अने वचनो ना साचा
          सत् चित रहे आनंद एक रंगा, छठी सलाम करू गतगंगा"

    (७) "सातवी सलाम करू शेष ने छेल्ली, पृथ्वी ना भार रह्या छे झेली
          सकल श्रुष्टि वसे तम माथे, सात सलाम करू बेयो हाथे"
 
         "दृश्या दृष्टि अलख तू एक ही, सात सलाम करू एम देखि
          आपणी सलाम करिष्ये आपे, दास सवो सतगुरु माप अमापे"


७) पशु की पनिया बने, नर का कछु नहीं होये
     जो नर करनी करे तो नर से नारायण होए

८) करे सहाय किरतार तो, अगन ने आंच न आवे
     करे सहाय किरतार तो, दुष्ट नडे नहीं दावे
     करे सहाय किरतार तो, रंक ने रिद्धि आप 
     करे सहाय किरतार तो, बंधन बेली कापे 
     करे सहाय किरतार तो, खडग नि ढाल न कापे 
     करे सहाय किरतार तो, भिखारी भूपत थापे 
     दीनानाथ दयालु छे, ऐना वखान शु ज्या ज्या करो!
    दास सवो दिल सत कहे, दूरिजनो थी दूर रहो!


०९)  लिखा है किस्मत मे परदेस वतन को तो याद क्या करना
        जहां कोई नहीं अपना, वहा फरियाद क्या करना

१०) चित चटको लाग्या वीना क्या रीझे किरतार
    इयड की भमरी बने, तो नर ने केटलिक वार

११) साया तू बड़ो धनि, तुझसे बड़ा न कोये
    तू जेना सर हाथ राख दे, उससे बड़ा न कोये

१२) पड़ा रहे दरबार में, धक्का धणी का खाए
    कब उकले लेहेर दरियाव की, बेडा पार हो जाए

१३) संत मिलन को जाइए, तजि मान मोह अभिमान!
    ज्यो ज्यो पग आगड वधे कोटि यज्ञ समान!

१४) राम झरोखे बैठ के, सबका मुजरा लेत,
    जैसी जिनकी चाकरी, वैसा फल को देत!

१५) राम किसी को मारत नहीं, ऐसा पापी नहीं मेरा राम!
    सब अपने आप मर जात है, वह तो कर के बुरो काम!

१६) मरू मरू सब करे, मरे मेरी बलाये
    जो पाना था वह पा लिया, अब क्यों मरने जाए 

१७) मैं ये जाना था खूब खाऊंगा, पहले कमा लू माल 
    ज्यो का त्यों धरा रह गया, सब ले गया काल 

१८)  हद चले सो औलिया, बेहद चले पीर
       हद बेहद बेयो चलें, वाका नाम फ़क़ीर!

१९)  विरह की याद में तड़पत भए
    ना रात सूझत ना दिन
    मैं तो सुधबुध सब खो बैठी
    तुम रहे कठोर न दर्शन दीन्ह  (नागेश)

२०) गुरु बिन न हस्ती मेरी
    न हस्ती तेरी न हस्ती परमातम की
    गुरु मिले तब रास्ता दिखाए
    ज्ञान मिले तब आतम की  (नागेश)

२१) शब्द की महिमा का बखान कर, शब्द को धो कर पी
    शब्द कटारी घाव करत है, शब्द मरहम करत औषधी
    शब्द शब्द का खेल निराला, शब्द गुरु मतवाला है!
    शब्द की धुनि लगा आतम पे, शब्द सहज तू पी  (नागेश)

२२) तुझमे खुदा बस्ते है बस यही सोच के चले जा रहा हूँ
    तुझसे मिलने के खातिर जो कदम बढाए तो हर जगह खुद को खड़ा पा रहा हूँ
    ज़िन्दगी का आयाम कितना छोटा लगेगा ये सोचा नहीं था कभी
    जब से बात तेरी आई है मैं तो बस ज़हर पीए जा रहा हूँ  (नागेश)

२३) गुरु से मिलकर मैंने जाना है तुझे, मेरी नस नस में तू ही तू समाया है!
   मैं तेरा हूँ या तू मेरा है??? आखिर किसने किसे आज़माया है!
   मैं तुझमे समां जाऊंगा या तू मुझमे समां जायेगा, इसकी खबर पड़ती नहीं थी
   गुरु ने मेरे मुझसे मेरा रूबरू कराया है!  (नागेश)

२४) ये दर्द दिलो का है, शब्दों में बयां नहीं होगा 
   ये दर्द दिलो का है, शब्दों में बयां नहीं होगा
   इसके लिए दिल ही चाहिए वर्ना तुम्हारे लिए ये फसाना नया नहीं होगा
   तुम्हे तो आदत है मेरे जज़्बातों से खेलने की
   तुम्हे तो आदत है मेरे जज़्बातों से खेलने की
   पर याद रखना हर बार तुम्हारी ठोकर खाने को मेरा दिल वहा नहीं होगा  (नागेश)


२५) बहुत कम माली होते है जिन्हे फूल प्यारे होते है,
    बाकियो को तो पैसे ही प्यारे होते है,
    ये चाहत ही कुछ अलग है ज़नाब पैसे की,
    तभी तो फूल अपने वज़ूद से अलग होते है!
    पर 
    फूल की भी अपनी किस्मत है कभी बाजार में कभी दरबार में
    माली तूने तो अलग कर दिया है! हम भी खड़े है इंतज़ार में!
    न जाने किस्मत कहा ले जाएगी हमे! किसी बाजार में या किसी दरबार में   (नागेश)

२६) मेरी महक, मेरा वज़ूद, मेरा भरोषा मुझपे तुझसे ज्यादा है!
    राम नाम का सिर्फ ढोंग नहीं, वचन मेरी मर्यादा है!
२७) तकलीफ होती है जब कोई अपना रूठता है!
    तकलीफ होती है जब कोई अपना टूटता है!
    तकलीफ होती है जब किसीका साथ छूटता है!
    पर हमने भी जीना सिख ही लिया ए ज़िन्दगी इस ग़म-ए-बाजार में 
    पर हमने भी जीना सिख ही लिया ए ज़िन्दगी इस ग़म-ए-बाजार में
    अब तो तेरी राह भी देखनी छोड़ दी हमने 
    तुझपे निगाह भी रखु तो मेरा विश्वास टूटता है!  (नागेश)

२८) नारी प्रतिक, नारी अतीत, नारी ही वर्तमान
    नारी सटी, नारी शक्ति, नारी ही भविष्य का द्वार 

$જ્ઞાન કથીને ગાડાં ભરે# પણ અંતરનો મટે નહિ વિખવાદ$
$કહે કબીર કડછા કંદોઈના# કોઈ દી’ ન પામે સ્વાદ.#$
$રામ જપે અનુરાગસે, સબ દુખ ડાલે ધોઈ$
$વિશ્વાસે તો હરી મિલે, લોહા ભી કંચન હોય.$
$દયા ગરીબી બંદગી, સમતા શીલ સુજાણ$
$ઐસે લક્ષણ સાધુકે કહે કબીર તું જાણ.$
$કાયા તું બડો ધણી, અને તુજસે બડો નહીં કોઈ,$
$તુ જેના શિર હસ્ત દે, સો જુગમેં બડો હોઈ.$
$રામ નામ રટતે રહો અને ધરી રાખો મનમાં ધીર$
$કોઈ દિન કાર્ય સુધારશે, કૃપા સિંધુ રઘુવીર.$
$સગા હમારા રામજી, અને સહોદર પુનિ રામ,$
$ઔર સગા સબ સગમગા, કોઈ ન આવે કામ.$
$કામ ક્રોધ મદ લોભકી, જહાં તક મનમેં ખાન,$
$કહાં પંડિત મૂરખ કહાં, દોઉ એક સમાન.$
$રન બન વ્યાધિ વિપત્તિમેં, રહિમન મર્યો ન રોય,$
$જો રક્ષક જનની જઠર, સો હરિ ગયે નહીં સોય.$
$નામ લીયા ઉસને જાન લીયા, સકલ શાસ્ત્રકા ભેદ,$
$બિના નામ નરકે ગયા, પઢ પઢ ચારોં વેદ.$
$કબીર કહે કમાલકુ, દો બાતાં શીખ લે,$
$કર સાહેબકી બંદગી ભૂખે કુ કુછ દે.$
$હાડ જલે જ્યું લાકડી, કેશ જલે જ્યું ઘાસ,$
$સબ જગ જલતા દેખ કે, કબીરા ભયો ઉદાસ.$
$માલા તિલક બનાય કે ધર્મ વિચારા નાહિ,$
$માલા બિચારી ક્યા કરે, મૈલ રહા મન માંહિ.$
$રાત ગવાંઈ સોય કર, દિવસ ગવાયો ખાય$
$હીરા જનમ અનમોલ થા, કૌડી બદલે જાય.$
$કાલ કરે સો આજ કર, સબહિ સાજ તુજ સાથ,$
$કાલ કાલ તું ક્યા કરે, કાલ કાલ કે હાથ.$
$સાધુ ભયા તો ક્યા હુવા, માલા પહિરી ચાર,$
$બાહર ભેષ બનાઈઆ, ભીતર ભરી ભંગાર$
$પ્રેમ છિપાયા ના છિપે, જ્યા ઘટ પરગટ હોય,$
$જો પૈ મુખ બોલે નહીં, નૈન દેત હૈ રોય.$
$જબ મેં થા તબ હરિ નહીં, અબ હરી હૈં હમ નાહીં,$
$પ્રેમ ગલિ અતિ સાંકરી, તમેં દો ન સમાહિ.$
$તુલસી મીઠે વચન સે સુખ ઉપજે ચહુ ઓર,$
$વશીકરન યહ મંત્ર હૈ, તજહું વચન કઠોર.$
$ફિકર સબકો ખા ગઈ, ફિકર સબકા પીર,$
$ફિકરકી ફાકી કરે, ઉનકા નામ ફકીર.$
$ગ્રંથ પંથ સબ જગતકે, બાત બતાવત તીન,$
$રામ હ્રદય, મનમેં દયા, તન સેવામેં લીન.$



जिसे कुछ भी समझने में या गैरसमझ हुई हो तो वह हमसे संपर्क कर सकता है!

जय गुरुदेव                Jay Gurudev                                     જાય ગુરુ દેવ
नागेश शर्मा               Nagesh Sharma                                  નાગેશ શર્મા
दीपक बापू                 Deepak Bapu                                     દિપક બાપુ



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