थोड़ी सी ज्ञान की बात भाग ३
शान्ति
बोलना, सुनना, सोचना, समझना एक क्षण के लिए नज़र भर घूमा ले इस टॉपिक पे तो लोगो को कितना आसान लगता है! इन-फैक्ट लोग तो सोचते है वही घिसी पिटी लाइन होगी सब तरह से शांति मोक्ष पूजा-पाठ वगेरा वगेरा! सही बात है भाई मैंने तो पहले भी कहा है की हर किसी को बोलने का पूरा हक़ हमारे संविधान ने दिया ही है! तो आप बोल सकते है! ठीक उसी प्रकार एक और संविधान है और वह संविधान है उस ऊपर वाले का जिसमे सभी को वह सामान ही समझता है! परन्तु काबिलियत के हिसाब से सही काम देता है! उसने सभी को शांति से जीवन व्यतीत करने का सामान हक़ दिया है! और इस शांति मार्ग में जाने का सभी को सामान अधिकार है! परन्तु आखिर शांति होती है क्या! शांति शांति सब करते है शांति है क्या??????????
जी हाँ सब बोलते है! "शांति रखो कोई बोलता है शांति से काम लो! शांति बनाए रखो!"
आखिर है क्या ये शांति किसको बनाने रखने काम लेने की बात हो रही है! हर जगह इसका अर्थ अलग क्यों जान पड रहा है! आध्यात्मिक में शांति कुछ अलग लगती है! भीड़ में शांति कुछ अलग लगती है! शोर में कुछ अलग लगती है! आखिर ऐसा क्यों होता है! ये शांति है क्या! और ये अलग अलग क्यों लग रही है इसे कोई एक रूप में ही होना चाहिए ना! क्योंकि ले-देके ये तो जुड़ी है मन से फिर दूसरी बातें इसमें कहा से आई!
जी हाँ सही सोचा है आप ने शांति मन की ही है और मन को ही मनाना है शांत होने के लिए और इन सभी के लिए अलग अलग तरह के प्रयोजन भी है! कोई कुछ अलग ढंग से मनाता है कोई अलग ढंग से मनाता है! पर सब से पहले आज हम गौर करेंगे की अशांति है किस बात की!
किसी को बी ही देख लो सभी को किसी न किसी प्रकार की कोई न कोई अशांति तो है ही! कोई शादी के लिए परेशान है! कोई बच्चे के लिए परेशान है! कोई बच्चे से परेशान है! किसी की परेशानी बीवी से है! किसी की पति से है! किसी की सासु माँ परेशान कर रही है, घर में अशांति का माहौल बन हुआ है! तो कोई सास बेचारी अपनी बहु से परेशान है! किसी का धंधे में परेशानी है! किसी को घर में परेशानी है! पैसे, रिश्ते, दोस्त, कारोबार, प्यार, माया, मोह हर तरफ से आदमी घिरा हुआ है और हर तरफ से परेशान ही है! और मज़े की बात ये है की इन परेशानियों का हल भी इन्ही में है! आखिर परेशान हो क्यों जाता है आदमी!!? परेशानियां आती कहा से है? इन परेशानियों को दावत दी किसने है!
कुछ समय पहले एक सर्वे हुआ था, यूँ तो इस तरह के सर्वे हमेशा होते है परन्तु ये सर्वे अभी अभी पिछले साल का है जिसे अमेरिकन यूनिवर्सिटी ऑफ़ वेटागन ने किया था! इसमें इन्होंने निष्कर्ष निकाला की पूरी दुनिया में आदमी की सब से बड़ी प्रॉब्लम आज की तारीख में जो बन चुकी है वह है स्ट्रेस, तनाव, खिंचाव!!!! और ये इतना बढ़ रहा है की आने वाले २ - ३ साल में तो हर व्यक्ति तक़रीबन इसकी चपेट में होगा! बड़ा बूढ़ा बच्चा महिला कोई भी हो कोई भी! इससे नहीं बचेगा! ये हमारे समाज का बहुत बड़ा रोग ही बन गया है! पिछले कुछ दिनों से कई लोग मुझ से पूछ रहे थे की आप थोड़ा मन की शांति के बारे में लिखिए या बोलिए क्योंकि तनाव आज की तारीख में बहुत बढ़ गया है! आये दिन लोग खुदखुशी कर रहे है! रिश्तों में दरारे पड़ती जा रही है! कई कारोबार टूटते जा रहे है! आखिर ऐसा क्यों हो रहा है! गलती कहा हो जा रही है! तो मैंने भी सोचा की चलो मौका है तो आज इसी के बारे में लिखते है!
स्ट्रेस, तनाव कुछ भी इसके बारे में बोलने के पहले कुछ लोगो की तरफ नज़र घूमा लेते है! एल्विस प्रेस्ली, माइकल जैक्सन, अभी अभी प्रत्युषा बनर्जी, उनके आलावा जिया खान! और न जाने कितने आम लोग है जिन्होंने आत्महत्या कर ली है! आये दिन न्यूज़ पेपर में पढ़ने मिलता रहता ही है! की महाराष्ट्र के उत्तर प्रदेश के पंजाब के किसान ने आत्महत्या की और भी लोग है प्यार में पड़-पड़ के पैसे के चक्कर में आत्महत्या करते ही रहते है! क्यों ऐसा हो जाता है! आखिर क्या कमी थी एल्विस को माइकल को प्रत्युषा को?? तो जवाब होगा की ये अकेले पड़ गए! ये रिश्ते संभाल नहीं पाये! इन्होंने हक़ीक़त में ऐसा किया क्या तो इसका जवाब है "सिद्धांत"
"सिद्धांत" व्यक्ति के जीवन में सिद्धांत का होना बहुत ज़रुरी है और सिद्धांत के बिना इस दुनिया में कोई चीज़ टिक नहीं सकती है! ट्रैन के बारे में हम सभी जानते है! अगर हमारे रेल मंत्री ये सोचे की मैं चलती ट्रैन के आगे खड़ा हो जाऊ तो मुझे कुछ नहीं होगा क्योंकि मैं रेल मंत्री हूँ, रेलवे का एक तरह से मालिक ही हूँ मैं! मेरे इशारे पे ही ट्रैन चलती है! उनकी दिशा उनका विकास सब मेरे हाथ में है! तो क्या चलेगा!?? क्या चलती ट्रैन के सामने रेल मंत्री आ के खड़े हो जायेंगे एकदम अचानक, एकदम पास में! तो क्या ट्रैन उनके ऊपर से उड़ के चली जाएगी?? क्या ट्रैन उन्हें कोई नुकसान नहीं पहुंचाएगी!?? नहीं ऐसा बिलकुल नहीं है! क्योंकि ट्रैन को पता नहीं है की रेल मंत्री कौन है! उसका सिद्धांत है, उसका नियम है मोटरमैन के बताये हुए स्पीड में दौड़ना! पटरी जहां तक सही है! वह उसपे सही तरीके से दौड़ेगी! बिच में जो भी आएगा उसके साथ उसका टकराव निश्चिन्त ही है! मोटरमैन भी इसमें कुछ नहीं कर पाएगा क्योंकि! रेल का एक सिद्धांत है गति! और गति पे रोक इतना आसान नहीं है इसीलिए अचानक आई रुकावटों के साथ में टकराने पे सिद्धांत के हिसाब से नुकसान तो होगा ही होगा! और रेलमंत्री भी अपने आप को नुकसान पहुंचा लेंगे!
रिलायंस एनर्जी के मालिक "श्री मान अनिल अंबानी" अगर वह सोचे की मैं इलेक्ट्रिसिटी का मालिक हूँ और सॉकेट में हाथ डालने पे मुझे करंट, शॉक नहीं लगेगा तो क्या ये संभव है! इलेक्ट्रिसिटी करेंट का काम जो है वह है! वह किसीको नहीं जानती है! बटन दबाया तो करेंट फैलेगी ही फैलेगी उसको इस बात से लेना देना है ही नहीं की हाथ डालने वाला कोई बच्चा है या बूढ़ा है या खुद इलेक्ट्रिक कंपनी के इतने बड़े मालिक है! उसको कोई फर्क नहीं पड़ता है! क्या लगता है आप को फर्क पड़ेगा!??? जी हाँ नहीं पड़ेगा! वह तो अपने सिद्धांत से बिलकुल नहीं चुकेगा! और सामने भले ही इलेक्ट्रिक कंपनी के मालिक हो वह उन्हें भी झटका देगी ही देगी! इसीलिए कहा जाता है की जीवन काल में सिद्धांत के साथ कभी भी खेल नहीं खेलना चाहिए! सिद्धांत के साथ खेल खेलोगे तो नुकसान उठाना पड़ेगा ही पड़ेगा! और ये नुकसान सिर्फ आप का ही नहीं आप के परिवार का आप के दूसरे चाहने वालो का भी हो सकता है! इसीलिए लाइफ में सिद्धांत को नहीं चूकना चाहिए! सिद्धांत के साथ में चूक हुई की आप तनाव में आएंगे ही आएंगे!
सिद्धांत कारोबार में, परिवार में, समाज में, देश में हर जगह आप को आप की स्थिति नियत्रण में रखने सीखता है सिद्धांत ही आप को ऊपर की और उठाता है! जितने भी भगवान हो गए वह सभी एक सिद्धांत के साथ ही बड़े हुए है उनके रनिंग पीरियड में मतलब जब वह थे तब सभी उन्हें भगवान् माने ऐसा नहीं था परन्तु उन्होंने सिद्धांत नहीं छोड़ा अपनी निति अपने नियम को नहीं बदला और सही दिशा में अपने आप को आगे किया जिसके कारन वह पूज्यनीय हुए और भगवान हो गए!
एल्विस प्रेस्ली के साथ में हम आज मीरा-बाई को जोड़ के देखते है! पहले तो बता दो ये कहानी मैंने नहीं बनायीं है कही सुनी थी पर इतनी अच्छी है की आप के साथ शेयर कर रहा हूँ! हाँ तो जैसा की मैंने कहा एल्विस को पहले तो जान लेते है! एल्विस ७० के दशक में सबसे बड़े रॉकस्टार थे माइकल जैक्सन की ही तरह! २१ साल की उम्र में उन्होंने जो मुकाम हासिल किया था वह शायद ही जल्दी कोई कर पाये! लोग उन्हें भगवान की तरह पूजते थे उनके कॉन्सर्ट में भीड़ का को जमावड़ा होता था वह देखने लायक होता था! एल्विस परफॉरमेंस के दौरान जब अपनी जैकेट को उतार के लोगो की तरफ फेंकते थे तो लोग उसे चीथड़े चीथड़े कर देते थे! और उन टुकड़ो को भी लोग संभल के रखते ताकि वह उनकी यादि बन सके की हाँ हमने एल्विस के लाइव शो को देखा है! प्रसाद की तरह लोग उनके चिथड़ों को सम्भाल के ले जाते थे!
जब सुबह सुबह एल्विस जागने के बाद अपनी बालकनी में आते थे तो निचे मानवों का बड़ा सा झुंड उनके दर्शन के लिए खड़ा होता था! एल्विस अपने प्राइवेट जेट से सफर करते थे उनकी अपनी लिमोज़ीन कार थी जिसपे हीरा जड़ित था! हीरा!!!! सोचिये ७० के दशक में खुद की प्राइवेट जेट हीरे जड़ित लिमोज़ीन कार और ५०० मिलियन डॉलर की संपत्ति के मालिक और तो और एक बहुत बड़े पैमाने पे उनके नाम से प्रोडक्ट्स बिकते थे आज भी मार्किट में एल्विस के नाम से ७०+ प्रोडक्ट्स मौजूद है!
अब आप सोच रहे होंगे ऐसे आदमी के साथ में मीरा बाई की कोई गिनती बैठती ही नहीं है क्योंकि मीरा बाई का कोई कॉन्सर्ट नहीं होता था वह बांके बिहारी के मंदिर के बाहर बैठ के भजन गाती थी! और सुनने के लिए २ ४ आदमी होते या वह भी नहीं होते थे! वह खुद राजशाही परिवार से थी पर उन्होंने सब कुछ धन दौलत वैभव संपत्ति को त्याग कर के रख दिया था सादे कपड़े में हरी भजती रहती थी! उन्हें कही जाना होता तो वह पैदल चल के जाती उस समय तो जेट या कार तो थे ही नहीं! तो ऐसे में मीरा बाई को हम एल्विस के साथ में कैसे जोड़े!????
३३ बरस की उम्र में एल्विस ने अपने प्राणो को त्याग दिया था! उन्होंने अपघात किया आत्महत्या! ऐसा कहा जाता था की जीसस के बाद में अगर कोई व्यक्ति अपने पहले नाम से प्रसिद्द हुआ है तो वह दूसरे व्यक्ति थे एल्विस! एक बार एल्विस अपने एक कम्पोजीशन पे काम कर रहे थे तो उनके सेक्रेटरी ने उनसे पुछा की आप को कैसा लग रहा है! उन्होंने अपने दोनों हाथ पियानो में से निचे लिए और कहा "अकेला" एक दम अकेला
आखिर क्यों जिसके कॉन्सर्ट में हजारो लोग आ रहे है! उसको अकेलापन क्यों सता रहा था! सुबह उठते ही जिसके घर के निचे भारी भीड़ उसका इंतजार करती थी और वह अकेलेपन का अनुभव कर रहा था और वह भी इतना अकेलापन की उसको खुदखुशी करनी पड़ गयी!
मीराबाई के लिए तो खुदखुशी शब्द भी अपराध के सामान था! अकेले रहने पे भी उन्होंने भजन गया की "पायो जी मैंने राम रतन धन पायो"! सब कुछ छोड़ के भी उन्हें किसी अकेलेपन का एहसास ही नहीं था! मीराबाई चली गयी उन्होंने कोई मान या सम्मान की इच्छा नहीं जताई पर आज उनके एक एक लाइन पे लोग पीएचडी कर रहे हैं उनके कारन कई घर पल रहे है! उनके ऊपर रिसर्च कर के कितनो की आजीविका चल रही है! आखिर फेर पड़ा कहा!??? ऐसा क्या था मीरा बाई के पास जो एल्विस के पास न हो पाया वह थी मन की शांति मीरा बाई को वह शांति भक्ति में मिली! मैंने पहले ही कहा था लोग अपने अपने हिसाब से लगे हुए है! ढूंढ रहे है! पर पहुंच नहीं पाते है!
बहुत से लोग अपने टाइम को बराबर से मैनेज नहीं कर पाते है वह समय को सही तरीके से बाँट नहीं पाते है और जब ये समय की कमी उन्हें खलने लगती है तब तनाव उनके जीवन में अपनी जगह बनाने लगता है! समय को सही तरीके से बाँटना चाहिए! घर के लिए, दोस्तों के लिए, काम के लिए, अपने खुद के लिए ये सब समय में सही तरीके से अगर बटा रहेगा तो आप को तनाव का सामना नहीं करना पड़ेगा और अगर करना पड़ा तो भी वह मैनेज करने योग्य रहेगा!
समय आप का है और वह कितना मूल्यवान है ये आप लोगो को अच्छी तरह से मालूम है! इसीलिए उसकी सही तरीके से देखभाल करे और सदुपयोग में लाये और समय के दुरुपयोग से बचे! क्योंकि समय का सही मूल्यांकन नहीं कर पाना ही तनाव का निमंत्रण है! इसे उदाहरण के तौर पे समझते है!
हम पैसों के मोह में ज्यादातर फंसे हुए ही है! और थोड़ा सा पैसा अपने पास आते ही थोड़ा अकड़ जाते है! बच्चों को समय नहीं देते है और उन्हें पढ़ाई के नाम पे अलग अलग तरह के कोचिंग क्लास, और दूसरे जगह पे भेजते है! कभी भी हम उसके पीछे अपना समय नहीं डालते है ये सोच के की हमने हमारा काम सही किया है! हमने पैसा भर दिया है हमारा काम हो गया! पर क्या ये लाभ देता है! आप के पैसा भर देने से क्या उसे वह ज्ञान, वह अनुभव मिल जाता है! नहीं बिलकुल नहीं मिलता है! यदि आप उसे अपना समय देते तो शायद वह मिल सकता था! उसमे आप के संस्कार पड़ सकते थे पर आप समय देते ही नहीं और यही आगे चल के कारन बनता है आप की संतान में आई हुयी बदलाव का! वह आप को नज़र अंदाज़ करने लगता है! और आप के अंदर तनाव उत्पन्न होना शुरू हो जाता है जिसके कारन आप का तो बुरा होता है! आप के परिवार का भी बुरा होता है! आप के कारोबार पे भी इसका असर पड़ता है! आखिर क्यों ऐसा हुआ क्या इसको दोबारा बताने की जरुरत है आप को?? नहीं क्यों की आप जानते है आप समझदार है बस थोड़ा सा अंजान थे कर के आप ने इस बात को अहमियत नहीं दी! तो आगे से इसे अहमियत दीजिए! ना सिर्फ अपने बच्चों के लिए बल्कि अपने बच्चों के बच्चों के लिए भी आप का समय बहुत मूल्यवान है!
समय आप के लिए बहुत महत्व रखता है मैंने पहले भी एक जमींदार की कहानी इसके पहले के लेख में बताई थी की कैसे समय ने उसे खोखला बन दिया वह समय पे नहीं उठने के कारन अपने सभी कारोबार को समाप्ति की और लेके जा चूका था फॉर डिटेल्स चेक
http://santnagesh.blogspot.in/2016/04/blog-post_9.html
यहाँ उस कहानी में आप देख सकते है की कैसे उसने अपने समय के सही उपयोग से दोबारा वही मुकाम हासिल किया अपितु उससे बड़ा मुकाम हासिल किया तो कहने का मर्म सिर्फ इतना है की समय का सही इस्तेमाल आपको कारोबार में भी फायदा देता है! परन्तु सही समय पर नहीं किया गया काम तनाव का निमंत्रण है! समय किसे देना है? कब देना है? और कैसे देना है? ये तीन बातें हमेशा ध्यान में रखिये! क्योंकि आप के समय की कीमत बहुत है! उसका सही इस्तेमाल ही आप को आगे ले के जायेगा!
हम अक्सर अपने परिवार को समय नहीं देते है! जिसके कारन हमारा परिवार हमसे दूर हो जाता है नाराज़ हो जाता है! हम उनके लिए सब कुछ कर के भी नदारद ही रहते है! इसीलिए परिवार के लिए मेहनत तो करनी ही है परन्तु उसे सही ढंग से समय भी देना है! क्योंकि कई बातें है जो समय देने से स्वयं ही सुलझ जाती है! "कम्युनिकेशन गैप" आज की जेनरेशन का बहुत ही उम्दा किस्म का अपना ही प्रॉब्लम है! उन्हें लगता है की पेरेंट्स उन्हें नहीं समझ सकते! पेरेंट्स को लगता है की उनके बच्चे अभी छोटे ही है! वह नहीं समझ सकते!
दोनों एक दूसरे से बिना बात किये ही अपने अपने निष्कर्ष निकाल के बैठ जाते है और नतीजा! हम सब देख ही रहे है! आये दिन कुछ न कुछ समाचार में आता रहता है! हम अक्सर कई सारी बातें छुपाते है! उसको डिसकस नहीं करते है! मन में एक सोच बना लेते है की कैसे कहे! उदाहरण के तौर पे देखने जाए तो जैसे की कोई अश्लील वस्तु का बच्चे के बैग में मिलना! इसके लिए उसको तुरंत हम या तो भूलने की एक्टिंग करने लगते है! या तो उसे मारते है! सही है आप मैं नहीं कहता हूँ की उसे बढ़ावा दो क्योंकि ये गलत है! पर क्या आप ने सोचा की ऐसा क्यों हुआ! आखिर उसने ये स्टेप क्यों लिया! इसका कारन है आप का और उसके बिच में नहीं होने वाला विचार विमर्श! आप के संस्कार जो उसे आप ने देने थे पर आप ने बाहरी दुनिया को फीस के नाम पे एक मोटी रकम देके अपना पल्ला झाड़ लिया और आप आज ये दिन देख रहे है! आप को क्या लगता है की आप के मारने से या चिल्लाने से डांटने से वह सही हो जायेगा??? नहीं बिलकुल नहीं आपकी ये हरकत उसे उसकी गलती का एहसास दिला ही नहीं सकती है! १०० में ९९ केसेस में आप को यही देखने मिलेगा की असर कुछ नहीं हुआ उल्टा वह और दूर हो गया छोड़ के चला गया! या कोई जुर्म में संलिप्त हो गया, या परिवार से दुरी बना ली, या फिर परिवार उसको झेल भर रहा है! आखिर इसका इलाज क्या है! आप खुद के दिमाग पे ज़ोर डालेंगे या किसी भी समझदार व्यक्ति से पूछेंगे या जो इस दौर से गुज़र चुके है उनसे भी पूछेंगे तो आप को यही जवाब मिलेगा की काश! काश हमने बात की होती! काश हमने उसे सही ढंग से समझाया होता! काश हमने उसे हमारा समय दिया होता (समय) काश! आखिर ये काश आया क्यों? संस्कार उसे क्यों नहीं मिले! इसका सीधा सीधा जवाब है आप का समय जो आप ने सिर्फ और सिर्फ पैसो को दिया अपने परिवार को नहीं! आपने अक्षर ज्ञान, कारोबार ज्ञान, शारीरिक विकास की तरह ही संस्कार भी खरीदने की ही कोशिश की!
तनाव के दो कारण मैंने आप को अभी बताये एक तो सिद्धांत(नीति नियम) इनमें तत्परता जो की आप को रखनी ही है! कभी भी आप इनसे चुके तो आप को तनाव का सामना करना ही पड़ेगा! दूसरी बात आप को बताई मैंने वह थी समय की! आप को आप के समय का सही सही उपयोग लाना सीखना पड़ेगा! क्योंकि समय का दुरुपयोग तनाव का निमंत्रण है! अब आगे देखते है! तीसरी वस्तु इसमें आती है व्यवहार या यूँ कहिये आप का स्वभाव! आप का स्वभाव आप को अक्सर किसी न किसी तरह की विपदा में डालता ही है! अपने स्वाभाव में परिवर्तन लाना जरुरी होता है! अक्सर आप ने सुना होगा की इंग्लिश में कहावत है! की (FIRST IMPRESSION IS LAST IMPRESSION) अर्थात आप की पहली प्रदर्शनी ही आप की आखिरी प्रदर्शनी है! इसे ज़रा समझने की कोशिश करते है! कई बार आप ने खुद देखा होगा रियलिटी शोज में की आदमी आता है परफॉर्म करता है! अच्छी कलाकारी होने के बावजूद वह अपने प्रदर्शित नहीं कर पाता और सेलेक्ट होने से वंचित रह जाता है! इसमें गलती किसकी है! जो सेलेक्ट करने बैठे है! उन्हें कोई दुश्मनी नहीं है! परफ़ॉर्मर से वह तो अपना काम सही तरीके से ही कर रहे है! मगर परफ़ॉर्मर अपने सही ढंग को अपनी सही काबिलियत को ओवर कॉन्फिडेंस में खो बैठा और जो उसे करना था उसके जगह कुछ और ही कर बैठा जिसका नतीजा उसने अपने आपको उस प्रतियोगिता से बाहर कर के पाया! ये भूल उसकी थी और ये भूल थी ओवर कॉन्फिडेंस की! उसके स्वभाव की! यदि उसका स्वभाव सहज होता तो मन शांत होता और वह उन चीज़ो को सही तरीके से समझ सकता था! और जो व्यक्ति चीज़ो को सही से समझता है उसके लिए उस काम को करना आसान होता है! आप का टारगेट बड़ा रहने से कुछ नहीं होता है! उस टारगेट के प्रति वैसी बड़ी मेहनत भी लगती है! इसीलिए सिर्फ टारगेट बड़ा होना कभी भी इस बात को पुख्ता नहीं करता है की सामने-वाला काबिल है! बल्कि उसकी मेहनत उसके काबिलियत को बताती है! उदाहरण के तौर पे देखिये! गाडी बहुत से लोग चला लेते है उन्हें गाडी के बारे में जानकारी भी काफी अच्छी होती है! काफी हद तक तो सभी हवाई जहाज की तरह भी चला लेते है! मगर क्या सब की तुलना हम नारायण कार्तिकेयन से कर सकते है? नहीं बिलकुल नहीं क्योंकि जो कंट्रोल नारायण के पास है वह कंट्रोल इनके पास नहीं है!और अगर है तो भी उनके पास इनके जैसा स्वभाव नहीं इनकी जैसी शालीनता नहीं! है और जो ये सब भी कर लेते है! उन्हें आगे जाने से कोई रोक नहीं सकता है! आप को आप के स्वभाव को निर्मल बनाना है! अपने आप में शालीनता लानी है! अपने आप को सही ढंग से पेश करना है! तो ही आप लोगो की नज़रो में आओगे! मैंने पहले भी कहा है! भीड़ का कारन बनो भीड़ नहीं! कारन सही ढंग से!
अगर आप अपने स्वभाव को चेंज नहीं करते है! तो लोग आप से दूर होंगे! हर बार आप को किसी न किसी तरह की परेशानी होगी ही होगी और ये आप के लिए बहुत जल्द एक मानसिक रोग बन के उभर जायेगी! चिड़चिड़ापन! विफल होने का ग़म ये सब आप को तनाव में दाल देगा! और फिर आप कोई भी अनचाहा दुखद कदम उठा लोगे तो इसके लिए आप अपने आप को पहचाने और मेहनत पे ध्यान दीजिये! आप का स्वभाव आप को सही कर्म के साथ सही दिशा में आगे लेके जाएगा! दूसरी बात की थी हमने व्यवहार की!
जिसे कुछ भी समझने में या गैरसमझ हुई हो तो वह हमसे संपर्क कर सकता है!
जय गुरुदेव Jay Gurudev જાય ગુરુ દેવ
नागेश शर्मा Nagesh Sharma નાગેશ શર્મા
दीपक बापू Deepak Bapu દિપક બાપુ
for more you have to wait till next updation 15-06-2016
Nagesh Best articles
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guru
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Pratham
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Pashu ki paniya bane
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Chauryaashi ka fera
84 ka fera
Yoni-manav yoni
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Yatra Tatra Sarvatra
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EK SHURUVAAT
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Prachand urja ke do pravahini kundali me
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Maanva mastishk kaisa hai
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Thodi Si Gyaan Ki Baate Bhaag 1
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Thodi Si Gyaan Ki Baate Bhaag 2
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Thodi Si Gyaan Ki Baate Bhaag 3
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Kuch mulbhut tatvo ki jaankari
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Brahm ki khoj
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Manav Swabhaav Parivartan
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SAWAL PRASHNA QUESTION
शान्ति
बोलना, सुनना, सोचना, समझना एक क्षण के लिए नज़र भर घूमा ले इस टॉपिक पे तो लोगो को कितना आसान लगता है! इन-फैक्ट लोग तो सोचते है वही घिसी पिटी लाइन होगी सब तरह से शांति मोक्ष पूजा-पाठ वगेरा वगेरा! सही बात है भाई मैंने तो पहले भी कहा है की हर किसी को बोलने का पूरा हक़ हमारे संविधान ने दिया ही है! तो आप बोल सकते है! ठीक उसी प्रकार एक और संविधान है और वह संविधान है उस ऊपर वाले का जिसमे सभी को वह सामान ही समझता है! परन्तु काबिलियत के हिसाब से सही काम देता है! उसने सभी को शांति से जीवन व्यतीत करने का सामान हक़ दिया है! और इस शांति मार्ग में जाने का सभी को सामान अधिकार है! परन्तु आखिर शांति होती है क्या! शांति शांति सब करते है शांति है क्या??????????
जी हाँ सब बोलते है! "शांति रखो कोई बोलता है शांति से काम लो! शांति बनाए रखो!"
आखिर है क्या ये शांति किसको बनाने रखने काम लेने की बात हो रही है! हर जगह इसका अर्थ अलग क्यों जान पड रहा है! आध्यात्मिक में शांति कुछ अलग लगती है! भीड़ में शांति कुछ अलग लगती है! शोर में कुछ अलग लगती है! आखिर ऐसा क्यों होता है! ये शांति है क्या! और ये अलग अलग क्यों लग रही है इसे कोई एक रूप में ही होना चाहिए ना! क्योंकि ले-देके ये तो जुड़ी है मन से फिर दूसरी बातें इसमें कहा से आई!
जी हाँ सही सोचा है आप ने शांति मन की ही है और मन को ही मनाना है शांत होने के लिए और इन सभी के लिए अलग अलग तरह के प्रयोजन भी है! कोई कुछ अलग ढंग से मनाता है कोई अलग ढंग से मनाता है! पर सब से पहले आज हम गौर करेंगे की अशांति है किस बात की!
किसी को बी ही देख लो सभी को किसी न किसी प्रकार की कोई न कोई अशांति तो है ही! कोई शादी के लिए परेशान है! कोई बच्चे के लिए परेशान है! कोई बच्चे से परेशान है! किसी की परेशानी बीवी से है! किसी की पति से है! किसी की सासु माँ परेशान कर रही है, घर में अशांति का माहौल बन हुआ है! तो कोई सास बेचारी अपनी बहु से परेशान है! किसी का धंधे में परेशानी है! किसी को घर में परेशानी है! पैसे, रिश्ते, दोस्त, कारोबार, प्यार, माया, मोह हर तरफ से आदमी घिरा हुआ है और हर तरफ से परेशान ही है! और मज़े की बात ये है की इन परेशानियों का हल भी इन्ही में है! आखिर परेशान हो क्यों जाता है आदमी!!? परेशानियां आती कहा से है? इन परेशानियों को दावत दी किसने है!
कुछ समय पहले एक सर्वे हुआ था, यूँ तो इस तरह के सर्वे हमेशा होते है परन्तु ये सर्वे अभी अभी पिछले साल का है जिसे अमेरिकन यूनिवर्सिटी ऑफ़ वेटागन ने किया था! इसमें इन्होंने निष्कर्ष निकाला की पूरी दुनिया में आदमी की सब से बड़ी प्रॉब्लम आज की तारीख में जो बन चुकी है वह है स्ट्रेस, तनाव, खिंचाव!!!! और ये इतना बढ़ रहा है की आने वाले २ - ३ साल में तो हर व्यक्ति तक़रीबन इसकी चपेट में होगा! बड़ा बूढ़ा बच्चा महिला कोई भी हो कोई भी! इससे नहीं बचेगा! ये हमारे समाज का बहुत बड़ा रोग ही बन गया है! पिछले कुछ दिनों से कई लोग मुझ से पूछ रहे थे की आप थोड़ा मन की शांति के बारे में लिखिए या बोलिए क्योंकि तनाव आज की तारीख में बहुत बढ़ गया है! आये दिन लोग खुदखुशी कर रहे है! रिश्तों में दरारे पड़ती जा रही है! कई कारोबार टूटते जा रहे है! आखिर ऐसा क्यों हो रहा है! गलती कहा हो जा रही है! तो मैंने भी सोचा की चलो मौका है तो आज इसी के बारे में लिखते है!
स्ट्रेस, तनाव कुछ भी इसके बारे में बोलने के पहले कुछ लोगो की तरफ नज़र घूमा लेते है! एल्विस प्रेस्ली, माइकल जैक्सन, अभी अभी प्रत्युषा बनर्जी, उनके आलावा जिया खान! और न जाने कितने आम लोग है जिन्होंने आत्महत्या कर ली है! आये दिन न्यूज़ पेपर में पढ़ने मिलता रहता ही है! की महाराष्ट्र के उत्तर प्रदेश के पंजाब के किसान ने आत्महत्या की और भी लोग है प्यार में पड़-पड़ के पैसे के चक्कर में आत्महत्या करते ही रहते है! क्यों ऐसा हो जाता है! आखिर क्या कमी थी एल्विस को माइकल को प्रत्युषा को?? तो जवाब होगा की ये अकेले पड़ गए! ये रिश्ते संभाल नहीं पाये! इन्होंने हक़ीक़त में ऐसा किया क्या तो इसका जवाब है "सिद्धांत"
"सिद्धांत" व्यक्ति के जीवन में सिद्धांत का होना बहुत ज़रुरी है और सिद्धांत के बिना इस दुनिया में कोई चीज़ टिक नहीं सकती है! ट्रैन के बारे में हम सभी जानते है! अगर हमारे रेल मंत्री ये सोचे की मैं चलती ट्रैन के आगे खड़ा हो जाऊ तो मुझे कुछ नहीं होगा क्योंकि मैं रेल मंत्री हूँ, रेलवे का एक तरह से मालिक ही हूँ मैं! मेरे इशारे पे ही ट्रैन चलती है! उनकी दिशा उनका विकास सब मेरे हाथ में है! तो क्या चलेगा!?? क्या चलती ट्रैन के सामने रेल मंत्री आ के खड़े हो जायेंगे एकदम अचानक, एकदम पास में! तो क्या ट्रैन उनके ऊपर से उड़ के चली जाएगी?? क्या ट्रैन उन्हें कोई नुकसान नहीं पहुंचाएगी!?? नहीं ऐसा बिलकुल नहीं है! क्योंकि ट्रैन को पता नहीं है की रेल मंत्री कौन है! उसका सिद्धांत है, उसका नियम है मोटरमैन के बताये हुए स्पीड में दौड़ना! पटरी जहां तक सही है! वह उसपे सही तरीके से दौड़ेगी! बिच में जो भी आएगा उसके साथ उसका टकराव निश्चिन्त ही है! मोटरमैन भी इसमें कुछ नहीं कर पाएगा क्योंकि! रेल का एक सिद्धांत है गति! और गति पे रोक इतना आसान नहीं है इसीलिए अचानक आई रुकावटों के साथ में टकराने पे सिद्धांत के हिसाब से नुकसान तो होगा ही होगा! और रेलमंत्री भी अपने आप को नुकसान पहुंचा लेंगे!
रिलायंस एनर्जी के मालिक "श्री मान अनिल अंबानी" अगर वह सोचे की मैं इलेक्ट्रिसिटी का मालिक हूँ और सॉकेट में हाथ डालने पे मुझे करंट, शॉक नहीं लगेगा तो क्या ये संभव है! इलेक्ट्रिसिटी करेंट का काम जो है वह है! वह किसीको नहीं जानती है! बटन दबाया तो करेंट फैलेगी ही फैलेगी उसको इस बात से लेना देना है ही नहीं की हाथ डालने वाला कोई बच्चा है या बूढ़ा है या खुद इलेक्ट्रिक कंपनी के इतने बड़े मालिक है! उसको कोई फर्क नहीं पड़ता है! क्या लगता है आप को फर्क पड़ेगा!??? जी हाँ नहीं पड़ेगा! वह तो अपने सिद्धांत से बिलकुल नहीं चुकेगा! और सामने भले ही इलेक्ट्रिक कंपनी के मालिक हो वह उन्हें भी झटका देगी ही देगी! इसीलिए कहा जाता है की जीवन काल में सिद्धांत के साथ कभी भी खेल नहीं खेलना चाहिए! सिद्धांत के साथ खेल खेलोगे तो नुकसान उठाना पड़ेगा ही पड़ेगा! और ये नुकसान सिर्फ आप का ही नहीं आप के परिवार का आप के दूसरे चाहने वालो का भी हो सकता है! इसीलिए लाइफ में सिद्धांत को नहीं चूकना चाहिए! सिद्धांत के साथ में चूक हुई की आप तनाव में आएंगे ही आएंगे!
सिद्धांत कारोबार में, परिवार में, समाज में, देश में हर जगह आप को आप की स्थिति नियत्रण में रखने सीखता है सिद्धांत ही आप को ऊपर की और उठाता है! जितने भी भगवान हो गए वह सभी एक सिद्धांत के साथ ही बड़े हुए है उनके रनिंग पीरियड में मतलब जब वह थे तब सभी उन्हें भगवान् माने ऐसा नहीं था परन्तु उन्होंने सिद्धांत नहीं छोड़ा अपनी निति अपने नियम को नहीं बदला और सही दिशा में अपने आप को आगे किया जिसके कारन वह पूज्यनीय हुए और भगवान हो गए!
एल्विस प्रेस्ली के साथ में हम आज मीरा-बाई को जोड़ के देखते है! पहले तो बता दो ये कहानी मैंने नहीं बनायीं है कही सुनी थी पर इतनी अच्छी है की आप के साथ शेयर कर रहा हूँ! हाँ तो जैसा की मैंने कहा एल्विस को पहले तो जान लेते है! एल्विस ७० के दशक में सबसे बड़े रॉकस्टार थे माइकल जैक्सन की ही तरह! २१ साल की उम्र में उन्होंने जो मुकाम हासिल किया था वह शायद ही जल्दी कोई कर पाये! लोग उन्हें भगवान की तरह पूजते थे उनके कॉन्सर्ट में भीड़ का को जमावड़ा होता था वह देखने लायक होता था! एल्विस परफॉरमेंस के दौरान जब अपनी जैकेट को उतार के लोगो की तरफ फेंकते थे तो लोग उसे चीथड़े चीथड़े कर देते थे! और उन टुकड़ो को भी लोग संभल के रखते ताकि वह उनकी यादि बन सके की हाँ हमने एल्विस के लाइव शो को देखा है! प्रसाद की तरह लोग उनके चिथड़ों को सम्भाल के ले जाते थे!
जब सुबह सुबह एल्विस जागने के बाद अपनी बालकनी में आते थे तो निचे मानवों का बड़ा सा झुंड उनके दर्शन के लिए खड़ा होता था! एल्विस अपने प्राइवेट जेट से सफर करते थे उनकी अपनी लिमोज़ीन कार थी जिसपे हीरा जड़ित था! हीरा!!!! सोचिये ७० के दशक में खुद की प्राइवेट जेट हीरे जड़ित लिमोज़ीन कार और ५०० मिलियन डॉलर की संपत्ति के मालिक और तो और एक बहुत बड़े पैमाने पे उनके नाम से प्रोडक्ट्स बिकते थे आज भी मार्किट में एल्विस के नाम से ७०+ प्रोडक्ट्स मौजूद है!
अब आप सोच रहे होंगे ऐसे आदमी के साथ में मीरा बाई की कोई गिनती बैठती ही नहीं है क्योंकि मीरा बाई का कोई कॉन्सर्ट नहीं होता था वह बांके बिहारी के मंदिर के बाहर बैठ के भजन गाती थी! और सुनने के लिए २ ४ आदमी होते या वह भी नहीं होते थे! वह खुद राजशाही परिवार से थी पर उन्होंने सब कुछ धन दौलत वैभव संपत्ति को त्याग कर के रख दिया था सादे कपड़े में हरी भजती रहती थी! उन्हें कही जाना होता तो वह पैदल चल के जाती उस समय तो जेट या कार तो थे ही नहीं! तो ऐसे में मीरा बाई को हम एल्विस के साथ में कैसे जोड़े!????
३३ बरस की उम्र में एल्विस ने अपने प्राणो को त्याग दिया था! उन्होंने अपघात किया आत्महत्या! ऐसा कहा जाता था की जीसस के बाद में अगर कोई व्यक्ति अपने पहले नाम से प्रसिद्द हुआ है तो वह दूसरे व्यक्ति थे एल्विस! एक बार एल्विस अपने एक कम्पोजीशन पे काम कर रहे थे तो उनके सेक्रेटरी ने उनसे पुछा की आप को कैसा लग रहा है! उन्होंने अपने दोनों हाथ पियानो में से निचे लिए और कहा "अकेला" एक दम अकेला
आखिर क्यों जिसके कॉन्सर्ट में हजारो लोग आ रहे है! उसको अकेलापन क्यों सता रहा था! सुबह उठते ही जिसके घर के निचे भारी भीड़ उसका इंतजार करती थी और वह अकेलेपन का अनुभव कर रहा था और वह भी इतना अकेलापन की उसको खुदखुशी करनी पड़ गयी!
मीराबाई के लिए तो खुदखुशी शब्द भी अपराध के सामान था! अकेले रहने पे भी उन्होंने भजन गया की "पायो जी मैंने राम रतन धन पायो"! सब कुछ छोड़ के भी उन्हें किसी अकेलेपन का एहसास ही नहीं था! मीराबाई चली गयी उन्होंने कोई मान या सम्मान की इच्छा नहीं जताई पर आज उनके एक एक लाइन पे लोग पीएचडी कर रहे हैं उनके कारन कई घर पल रहे है! उनके ऊपर रिसर्च कर के कितनो की आजीविका चल रही है! आखिर फेर पड़ा कहा!??? ऐसा क्या था मीरा बाई के पास जो एल्विस के पास न हो पाया वह थी मन की शांति मीरा बाई को वह शांति भक्ति में मिली! मैंने पहले ही कहा था लोग अपने अपने हिसाब से लगे हुए है! ढूंढ रहे है! पर पहुंच नहीं पाते है!
बहुत से लोग अपने टाइम को बराबर से मैनेज नहीं कर पाते है वह समय को सही तरीके से बाँट नहीं पाते है और जब ये समय की कमी उन्हें खलने लगती है तब तनाव उनके जीवन में अपनी जगह बनाने लगता है! समय को सही तरीके से बाँटना चाहिए! घर के लिए, दोस्तों के लिए, काम के लिए, अपने खुद के लिए ये सब समय में सही तरीके से अगर बटा रहेगा तो आप को तनाव का सामना नहीं करना पड़ेगा और अगर करना पड़ा तो भी वह मैनेज करने योग्य रहेगा!
समय आप का है और वह कितना मूल्यवान है ये आप लोगो को अच्छी तरह से मालूम है! इसीलिए उसकी सही तरीके से देखभाल करे और सदुपयोग में लाये और समय के दुरुपयोग से बचे! क्योंकि समय का सही मूल्यांकन नहीं कर पाना ही तनाव का निमंत्रण है! इसे उदाहरण के तौर पे समझते है!
हम पैसों के मोह में ज्यादातर फंसे हुए ही है! और थोड़ा सा पैसा अपने पास आते ही थोड़ा अकड़ जाते है! बच्चों को समय नहीं देते है और उन्हें पढ़ाई के नाम पे अलग अलग तरह के कोचिंग क्लास, और दूसरे जगह पे भेजते है! कभी भी हम उसके पीछे अपना समय नहीं डालते है ये सोच के की हमने हमारा काम सही किया है! हमने पैसा भर दिया है हमारा काम हो गया! पर क्या ये लाभ देता है! आप के पैसा भर देने से क्या उसे वह ज्ञान, वह अनुभव मिल जाता है! नहीं बिलकुल नहीं मिलता है! यदि आप उसे अपना समय देते तो शायद वह मिल सकता था! उसमे आप के संस्कार पड़ सकते थे पर आप समय देते ही नहीं और यही आगे चल के कारन बनता है आप की संतान में आई हुयी बदलाव का! वह आप को नज़र अंदाज़ करने लगता है! और आप के अंदर तनाव उत्पन्न होना शुरू हो जाता है जिसके कारन आप का तो बुरा होता है! आप के परिवार का भी बुरा होता है! आप के कारोबार पे भी इसका असर पड़ता है! आखिर क्यों ऐसा हुआ क्या इसको दोबारा बताने की जरुरत है आप को?? नहीं क्यों की आप जानते है आप समझदार है बस थोड़ा सा अंजान थे कर के आप ने इस बात को अहमियत नहीं दी! तो आगे से इसे अहमियत दीजिए! ना सिर्फ अपने बच्चों के लिए बल्कि अपने बच्चों के बच्चों के लिए भी आप का समय बहुत मूल्यवान है!
समय आप के लिए बहुत महत्व रखता है मैंने पहले भी एक जमींदार की कहानी इसके पहले के लेख में बताई थी की कैसे समय ने उसे खोखला बन दिया वह समय पे नहीं उठने के कारन अपने सभी कारोबार को समाप्ति की और लेके जा चूका था फॉर डिटेल्स चेक
http://santnagesh.blogspot.in/2016/04/blog-post_9.html
यहाँ उस कहानी में आप देख सकते है की कैसे उसने अपने समय के सही उपयोग से दोबारा वही मुकाम हासिल किया अपितु उससे बड़ा मुकाम हासिल किया तो कहने का मर्म सिर्फ इतना है की समय का सही इस्तेमाल आपको कारोबार में भी फायदा देता है! परन्तु सही समय पर नहीं किया गया काम तनाव का निमंत्रण है! समय किसे देना है? कब देना है? और कैसे देना है? ये तीन बातें हमेशा ध्यान में रखिये! क्योंकि आप के समय की कीमत बहुत है! उसका सही इस्तेमाल ही आप को आगे ले के जायेगा!
हम अक्सर अपने परिवार को समय नहीं देते है! जिसके कारन हमारा परिवार हमसे दूर हो जाता है नाराज़ हो जाता है! हम उनके लिए सब कुछ कर के भी नदारद ही रहते है! इसीलिए परिवार के लिए मेहनत तो करनी ही है परन्तु उसे सही ढंग से समय भी देना है! क्योंकि कई बातें है जो समय देने से स्वयं ही सुलझ जाती है! "कम्युनिकेशन गैप" आज की जेनरेशन का बहुत ही उम्दा किस्म का अपना ही प्रॉब्लम है! उन्हें लगता है की पेरेंट्स उन्हें नहीं समझ सकते! पेरेंट्स को लगता है की उनके बच्चे अभी छोटे ही है! वह नहीं समझ सकते!
दोनों एक दूसरे से बिना बात किये ही अपने अपने निष्कर्ष निकाल के बैठ जाते है और नतीजा! हम सब देख ही रहे है! आये दिन कुछ न कुछ समाचार में आता रहता है! हम अक्सर कई सारी बातें छुपाते है! उसको डिसकस नहीं करते है! मन में एक सोच बना लेते है की कैसे कहे! उदाहरण के तौर पे देखने जाए तो जैसे की कोई अश्लील वस्तु का बच्चे के बैग में मिलना! इसके लिए उसको तुरंत हम या तो भूलने की एक्टिंग करने लगते है! या तो उसे मारते है! सही है आप मैं नहीं कहता हूँ की उसे बढ़ावा दो क्योंकि ये गलत है! पर क्या आप ने सोचा की ऐसा क्यों हुआ! आखिर उसने ये स्टेप क्यों लिया! इसका कारन है आप का और उसके बिच में नहीं होने वाला विचार विमर्श! आप के संस्कार जो उसे आप ने देने थे पर आप ने बाहरी दुनिया को फीस के नाम पे एक मोटी रकम देके अपना पल्ला झाड़ लिया और आप आज ये दिन देख रहे है! आप को क्या लगता है की आप के मारने से या चिल्लाने से डांटने से वह सही हो जायेगा??? नहीं बिलकुल नहीं आपकी ये हरकत उसे उसकी गलती का एहसास दिला ही नहीं सकती है! १०० में ९९ केसेस में आप को यही देखने मिलेगा की असर कुछ नहीं हुआ उल्टा वह और दूर हो गया छोड़ के चला गया! या कोई जुर्म में संलिप्त हो गया, या परिवार से दुरी बना ली, या फिर परिवार उसको झेल भर रहा है! आखिर इसका इलाज क्या है! आप खुद के दिमाग पे ज़ोर डालेंगे या किसी भी समझदार व्यक्ति से पूछेंगे या जो इस दौर से गुज़र चुके है उनसे भी पूछेंगे तो आप को यही जवाब मिलेगा की काश! काश हमने बात की होती! काश हमने उसे सही ढंग से समझाया होता! काश हमने उसे हमारा समय दिया होता (समय) काश! आखिर ये काश आया क्यों? संस्कार उसे क्यों नहीं मिले! इसका सीधा सीधा जवाब है आप का समय जो आप ने सिर्फ और सिर्फ पैसो को दिया अपने परिवार को नहीं! आपने अक्षर ज्ञान, कारोबार ज्ञान, शारीरिक विकास की तरह ही संस्कार भी खरीदने की ही कोशिश की!
तनाव के दो कारण मैंने आप को अभी बताये एक तो सिद्धांत(नीति नियम) इनमें तत्परता जो की आप को रखनी ही है! कभी भी आप इनसे चुके तो आप को तनाव का सामना करना ही पड़ेगा! दूसरी बात आप को बताई मैंने वह थी समय की! आप को आप के समय का सही सही उपयोग लाना सीखना पड़ेगा! क्योंकि समय का दुरुपयोग तनाव का निमंत्रण है! अब आगे देखते है! तीसरी वस्तु इसमें आती है व्यवहार या यूँ कहिये आप का स्वभाव! आप का स्वभाव आप को अक्सर किसी न किसी तरह की विपदा में डालता ही है! अपने स्वाभाव में परिवर्तन लाना जरुरी होता है! अक्सर आप ने सुना होगा की इंग्लिश में कहावत है! की (FIRST IMPRESSION IS LAST IMPRESSION) अर्थात आप की पहली प्रदर्शनी ही आप की आखिरी प्रदर्शनी है! इसे ज़रा समझने की कोशिश करते है! कई बार आप ने खुद देखा होगा रियलिटी शोज में की आदमी आता है परफॉर्म करता है! अच्छी कलाकारी होने के बावजूद वह अपने प्रदर्शित नहीं कर पाता और सेलेक्ट होने से वंचित रह जाता है! इसमें गलती किसकी है! जो सेलेक्ट करने बैठे है! उन्हें कोई दुश्मनी नहीं है! परफ़ॉर्मर से वह तो अपना काम सही तरीके से ही कर रहे है! मगर परफ़ॉर्मर अपने सही ढंग को अपनी सही काबिलियत को ओवर कॉन्फिडेंस में खो बैठा और जो उसे करना था उसके जगह कुछ और ही कर बैठा जिसका नतीजा उसने अपने आपको उस प्रतियोगिता से बाहर कर के पाया! ये भूल उसकी थी और ये भूल थी ओवर कॉन्फिडेंस की! उसके स्वभाव की! यदि उसका स्वभाव सहज होता तो मन शांत होता और वह उन चीज़ो को सही तरीके से समझ सकता था! और जो व्यक्ति चीज़ो को सही से समझता है उसके लिए उस काम को करना आसान होता है! आप का टारगेट बड़ा रहने से कुछ नहीं होता है! उस टारगेट के प्रति वैसी बड़ी मेहनत भी लगती है! इसीलिए सिर्फ टारगेट बड़ा होना कभी भी इस बात को पुख्ता नहीं करता है की सामने-वाला काबिल है! बल्कि उसकी मेहनत उसके काबिलियत को बताती है! उदाहरण के तौर पे देखिये! गाडी बहुत से लोग चला लेते है उन्हें गाडी के बारे में जानकारी भी काफी अच्छी होती है! काफी हद तक तो सभी हवाई जहाज की तरह भी चला लेते है! मगर क्या सब की तुलना हम नारायण कार्तिकेयन से कर सकते है? नहीं बिलकुल नहीं क्योंकि जो कंट्रोल नारायण के पास है वह कंट्रोल इनके पास नहीं है!और अगर है तो भी उनके पास इनके जैसा स्वभाव नहीं इनकी जैसी शालीनता नहीं! है और जो ये सब भी कर लेते है! उन्हें आगे जाने से कोई रोक नहीं सकता है! आप को आप के स्वभाव को निर्मल बनाना है! अपने आप में शालीनता लानी है! अपने आप को सही ढंग से पेश करना है! तो ही आप लोगो की नज़रो में आओगे! मैंने पहले भी कहा है! भीड़ का कारन बनो भीड़ नहीं! कारन सही ढंग से!
अगर आप अपने स्वभाव को चेंज नहीं करते है! तो लोग आप से दूर होंगे! हर बार आप को किसी न किसी तरह की परेशानी होगी ही होगी और ये आप के लिए बहुत जल्द एक मानसिक रोग बन के उभर जायेगी! चिड़चिड़ापन! विफल होने का ग़म ये सब आप को तनाव में दाल देगा! और फिर आप कोई भी अनचाहा दुखद कदम उठा लोगे तो इसके लिए आप अपने आप को पहचाने और मेहनत पे ध्यान दीजिये! आप का स्वभाव आप को सही कर्म के साथ सही दिशा में आगे लेके जाएगा! दूसरी बात की थी हमने व्यवहार की!
जिसे कुछ भी समझने में या गैरसमझ हुई हो तो वह हमसे संपर्क कर सकता है!
जय गुरुदेव Jay Gurudev જાય ગુરુ દેવ
नागेश शर्मा Nagesh Sharma નાગેશ શર્મા
दीपक बापू Deepak Bapu દિપક બાપુ
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Thodi Si Gyaan Ki Baate Bhaag 1
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Thodi Si Gyaan Ki Baate Bhaag 2
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