2 गुरु क्या है
जो भी व्यक्ति विशेष हमें जीवनोपयोगी (Usable in Life) से रिलेटेड कोई जानकारी देता है तो वह गुरु के सामान ही है पर इस गुरु की वैल्यू उसके सम्मान की एक सीमा बांध जाती है ये गुरु भी आप के साथ एक लिमिट तक एक हद तक ही साथ होता है जैसे की विद्यालय में अक्षर ज्ञान लेते समय जो विद्यालय के शिक्षक होते है! या तो कारोबार को सीखने वाले जो की हमारे आदर्श हमारे गुरु जो भी है इन-फैक्ट हर वह बात हमें जो हमारे लाइफ में काम में आती है उसे सीखने वाला ही गुरु है और जो हमें उसके दर्शन करा दे उसके साथ में हमारा विवाह करा दे हमारा उसके साथ सम्बन्ध जोड़ दे वही हमारा असली आध्यात्मिक का, मोक्ष दिलाने वाला, उसके राह पे ले जाने वाला गुरु है! यही वह गुरु है जिसकी कामना, जिसके वचन मात्र ने हमें आज यहाँ तक पंहुचा दिया! ये गुरु का बखान हो नहीं सकता है वह सिर्फ हम महसूस भर ही कर सकते है! उसके लिए बोलना मतलब सूरज को दिया दिखने बराबर ही है! हमारे कुछ शब्दों में सिमट कर वह सिर्फ एक एहसास बन सकता है सामने वाले के लिए पर उसकी सही महिमा उसका सही सही आकलन कर पाना तो बहुत ही मुश्किल है या तो कह सकते है की नामुमकिन है! यही वह गुरु है जो हमें भ्रम से ब्रह्म, ब्रह्म से ब्रह्मा और परम तत्व तक ले के चला जाता है! या यूँ कहे की वह तक जाने का मार्ग सुझा देता है!
ऐसे गुरु की आस रखना ही हमारे जीवन की बुनियाद को मजबूत बन देती है! ऐसा गुरु करने पर मिलने वाली जो अनुभूति होती है वह तो बस अनुभूति करने वाला ही जाने! बहुत थोड़े में ही लिख रहा हूँ इसको आगे चल के विस्तार से भी जानेंगे परन्तु अभी कम से कम इतना तो समझने के लिए काफी ही होगा
अब हम जानेंगे की गुरु कब मिलता है!
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