🌷ॐ शिव गोरख अलख आदेश आदेश 🌷
वारी ओ वारी म्हारा अनगढ़ देवा इन घट निँद्रा त्यागी ! स्वर्गलोक से चली भवानी गोरख छलबा आई ! आवो मेरी माता आवो मेरी जननी इन घट निद्रा त्यागी ! कौण तुम्हारा बणा घाघरा कौण तुम्हारा चीर जी ! कौण तुम्हारा बणा कांचणा कौण तुम्हारा वीर जी ! धरणी हमारा बणा घाघरा गगन हमारा चीर जी! ससिया भाण म्हारा बणा कांचणा सन्त हमारे वीर जी ! कौण तुम्हारे बहन भाणजी कौण तुम्हारी माता ! कौण तुम्हारे संग रमता कौण करे दो बांता ! पवन हमारे बहन भाणजी धरण हमारी माता ! धूणा हमारे संग रमता रेण करै दो बांता ! कौण दिया थाने डंड कमण्डल कौण दिया जलझारी! कौण दिया थाने भगवा वस्त्र कैसे हुआ ब्रह्मचारी ! शिव जी दिया म्हाने डंड कमंडल ब्रह्मा दिया जलझारी ! गोरां दिया म्हाने भगवा वस्त्र ऐसे हुआ ब्रह्मचारी ! थाने बांध थांका गुरां ने बांधू बांधू कंचन काया ! सेली सिंगी मुन्द्रा बांधू जोग कठा से लाया ! निज को खोलूं गुरां जी को खोलूं खोलूं कँचन काया ! सेली सींगी मुन्द्रा खोलूं जोग अलख से लाया ! उठत मारूं बैठत मारूं मारूं सोवत जागा ! तीन लोक में भग पसारूं कहां जाए अवधूता ! उठत सिवरूं बैठत सिवरूं सिवरूं सोवत जागा ! तीन लोक के बाहर खेलूं मे गोरख अवधूता ! मछन्दरनाथ जोगी रा पूता गोरख जागे जग सूता ! शरण मछन्दर जति गोरख बोल्या माई हारी बाबा जीता !
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