"नाम" नागेश जय गुरुदेव (दीपक बापू)

गुरुवार, 31 मार्च 2016

वारी ओ वारी म्हारा अनगढ़ देवा इन घट निँद्रा त्यागी

 🌷ॐ शिव गोरख अलख आदेश आदेश 🌷

वारी ओ वारी म्हारा अनगढ़ देवा इन घट निँद्रा त्यागी !
स्वर्गलोक से चली भवानी गोरख छलबा आई !
आवो मेरी माता आवो मेरी जननी इन घट निद्रा त्यागी ! 
कौण तुम्हारा  बणा घाघरा कौण तुम्हारा चीर जी !
कौण तुम्हारा बणा  कांचणा  कौण तुम्हारा वीर जी !
धरणी हमारा बणा  घाघरा गगन  हमारा चीर जी! 
ससिया भाण  म्हारा बणा कांचणा  सन्त हमारे वीर जी !
कौण तुम्हारे  बहन भाणजी   कौण  तुम्हारी माता !
कौण   तुम्हारे संग  रमता  कौण   करे  दो बांता !
पवन हमारे  बहन भाणजी  धरण  हमारी माता !
धूणा  हमारे   संग  रमता  रेण करै  दो  बांता !
कौण दिया थाने डंड कमण्डल कौण  दिया  जलझारी!
कौण दिया थाने भगवा वस्त्र कैसे हुआ  ब्रह्मचारी !
शिव जी  दिया म्हाने  डंड कमंडल  ब्रह्मा दिया   जलझारी !
गोरां  दिया म्हाने भगवा  वस्त्र ऐसे  हुआ   ब्रह्मचारी !
थाने बांध थांका गुरां ने  बांधू बांधू कंचन  काया !
सेली  सिंगी  मुन्द्रा  बांधू जोग कठा से  लाया !
निज को खोलूं गुरां जी  को खोलूं  खोलूं कँचन काया !
सेली सींगी मुन्द्रा खोलूं  जोग अलख से लाया !
उठत  मारूं  बैठत  मारूं  मारूं  सोवत जागा !
तीन लोक में भग  पसारूं कहां जाए अवधूता !
उठत सिवरूं बैठत सिवरूं सिवरूं सोवत जागा !
तीन   लोक के बाहर खेलूं मे  गोरख  अवधूता !
मछन्दरनाथ जोगी रा पूता गोरख जागे जग सूता !
शरण मछन्दर जति गोरख बोल्या माई हारी  बाबा जीता !

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