टेर ओ साधू भाई मेरा भेद में पाया ।
मै हु रे ब्रह्म अटल अविनासी ।
नहीं हमारे छाया ।
1
इच्छा फोर धरी धन काया धरता ही नाम धराया ।
सुतो जीव अचेत नींद में
उनको आय जगाया ।
ओ साधो भाई मेरा भेद..........
2
ओ कारण काज फिरियो इण जुग में
निर्पक्ष ज्ञान सुनाया ।
भड़कियो जीव भरमना उपजी
कोई एक शीश नमाया ।
3
छपियो जीव शरण के माई त्राटक तुरंत तोड़ाया।
आवागमन अलप कर दीनी दूर किया दुःख दायाँ ।
4
कर्म काट कोने कर दीना सत् का वचन सुनाया।
चन्दन सा चेतन का डंका
अमर लोक पोहचाया।
ओ साधो भाई मेरा भेद में पाया मै हु रे ब्रह्म अटल अविनासी ।
नहीं हमारे छाया ।
Suajanya Whatsapp Santvaani bhajan Group
To Join Message on 9987491661
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
Please inform direct to admin if things are not proper