"नाम" नागेश जय गुरुदेव (दीपक बापू)

मंगलवार, 29 मार्च 2016

ओ साधू भाई मेरा भेद में पाया ।

टेर  ओ  साधू भाई  मेरा भेद में पाया ।
मै हु रे ब्रह्म  अटल अविनासी ।
नहीं हमारे छाया ।
1
इच्छा फोर धरी धन काया धरता ही नाम धराया ।
सुतो जीव अचेत नींद में 
उनको आय जगाया ।
ओ साधो भाई मेरा भेद..........
2
ओ कारण काज फिरियो  इण जुग में 
निर्पक्ष ज्ञान सुनाया ।
भड़कियो जीव भरमना उपजी 
कोई एक शीश  नमाया ।
3
छपियो जीव शरण के माई त्राटक तुरंत तोड़ाया।
आवागमन अलप कर दीनी दूर किया दुःख दायाँ ।
4
कर्म काट कोने कर दीना सत् का वचन सुनाया।
चन्दन सा चेतन का डंका 
अमर लोक पोहचाया।
ओ साधो भाई मेरा भेद में पाया मै हु रे ब्रह्म अटल अविनासी ।
नहीं हमारे छाया ।
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