“ध्यान क्या है!
"ये ध्यान के प्रकार अलग-अलग है, उसकी समझ बहुत बारीक़ है और इफ़ेक्ट तो अपार ही है, इसमें कोई दो राय नहीं है, ना ही हो सकती है! क्योंकि आम इंसान/पहुंचा हुआ इंसान/या कोई भी तरह का इंसान हो या जानवर ही क्यों न हो बिना ध्यान के कुछ नहीं कर सकता है! आप पैदा होने के बाद से ही खाने में, पीने में , चलने में , काम में, पढ़ाई में हर जगह आप ने ध्यान ही दिया है और इस ध्यान ने ही आप का काम किया है जिसके कारन आप उस काम को पूरा कर पाए है और जो काम अनायास ही हुआ भी है उसमे भी आप का ध्यान ही था जो उस और ले गया और उसका एहसास करा पाया इस तरह से देखेंगे तो ध्यान ही सब कुछ है" ध्यान कैसे लगाए पहले तो बेसिक से स्टार्ट करते है हम! सब से पहले किसी शांत जगह को फिक्स कर लीजिए, उसके बाद एक बार जगह मिल गयी तो उस जगह पे कोई गरम वस्त्र जैसे चादर, शाल इत्यादि कुछ बिछा लीजिए उसके बाद उस पे योग के "आसन" के हिसाब से बैठ जाइये जैसा की इस तस्वीर में दिखाया है!
"ये ध्यान के प्रकार अलग-अलग है, उसकी समझ बहुत बारीक़ है और इफ़ेक्ट तो अपार ही है, इसमें कोई दो राय नहीं है, ना ही हो सकती है! क्योंकि आम इंसान/पहुंचा हुआ इंसान/या कोई भी तरह का इंसान हो या जानवर ही क्यों न हो बिना ध्यान के कुछ नहीं कर सकता है! आप पैदा होने के बाद से ही खाने में, पीने में , चलने में , काम में, पढ़ाई में हर जगह आप ने ध्यान ही दिया है और इस ध्यान ने ही आप का काम किया है जिसके कारन आप उस काम को पूरा कर पाए है और जो काम अनायास ही हुआ भी है उसमे भी आप का ध्यान ही था जो उस और ले गया और उसका एहसास करा पाया इस तरह से देखेंगे तो ध्यान ही सब कुछ है" ध्यान कैसे लगाए पहले तो बेसिक से स्टार्ट करते है हम! सब से पहले किसी शांत जगह को फिक्स कर लीजिए, उसके बाद एक बार जगह मिल गयी तो उस जगह पे कोई गरम वस्त्र जैसे चादर, शाल इत्यादि कुछ बिछा लीजिए उसके बाद उस पे योग के "आसन" के हिसाब से बैठ जाइये जैसा की इस तस्वीर में दिखाया है!
बैठने के और भी तरीके है जो लोग अपनाते है पर ये मुद्रा अच्छी और सरल है अतः इसे ही प्राथमिकता मैंने दी है
इस तरह से ध्यान लगने की शुरुआत करने की तैयारी हो जाने के बाद में आप अपनी आँखों को शुरुआती तौर में बंद कर लीजिए और अपने आस पास की आवाज़ों को सुनने का स्टार्ट कीजिये आप के आस पास बहुत तरह की आवाज़ चलती रहती है उन सभी आवाज़ों को सुनिए जितना अच्छा ऊंचा और क्लियर सुनना शुरू करेंगे उतना अच्छा ये आप के मस्तिष्क में एक तरंग पैदा करना शुरू कर देगा और धीरे धीरे कर के ये सभी आवाज़ शांत होने लगेगी और आप को अपनी अंदर चल रही आवाज़ सुनाई देनी शुरू हो जाएगी ये आवाज़ आप के साँसों की है जो आप अंदर लेते है और बहार छोड़ते है जब ये आवाज़ आपको आनी शुरू हो जाएगी तब इसकी आवाज़ ही आप को यथार्थ का दर्शन कराएगी ये आवाज़ होगी उस शून्य की! उस निराकार की! ब्रह्माण्ड में गूंज रहे उस ओम की जिसे सोऽहं भी कहा जाता है! जब सांस अंदर की और खींचने की क्रिया करते है तब ओहम और जब बाहर छोड़ते है तब सोऽहं ये ध्वनि उत्पन्न होती है जिसे अंदर ही महसूस किया जा सकता है ध्यान क्रिया के द्वारा ये क्रिया इतनी अद्भुत और शांतिदायी होती है जिसकी कोई सीमा नहीं है और इस ध्यान की क्रिया में यह ध्वनि धीरे धीरे इतनी स्पष्ट हो जाएगी की आप को ऐसा लगेगा की आप उसे खुद बोल रहे है या कहिये की कोई बोल रहा है और आप सुन रहे है पहले तो अब इस ध्यान को अपनी चरम पे ले जाए इसके बाद आगे सीखेंगे!
एक बार जब ये आवाज़ क्लियर सुनाई देने लगेगी तब हमें जरुरत है हमारे ध्यान को और गहरा करने की जिसके लिए सब से ज्यादा आवश्यक है की हमारा मन एकाग्र हो के ध्वनि की स्पष्टता में ध्यान रखे और धीरे धीरे ओम की आवाज़ के साथ नाद बजने लगेंगे ये नाद कुछ यंत्रो की ध्वनि है जैसे की बांसुरी, सितार, तबला, मंजीरा, ढोलक, इसी तरह के और भी आवाज़ आना स्टार्ट हो जाती है जिसमे वक़्त जाता है वक़्त इसीलिए जाता है की ये आवाज़ सुनना इतना आसान नहीं है जितना की आसानी से मैंने या औरो ने लिख दिया है इन सब के पीछे एक रहस्य है ये रहस्य ही आप की उत्पत्ति और उस परम तत्व से जुड़ा हुआ है इसीलिए इस अवस्था में जब आप पहुंचे तो आप को बहुत ही उच्च कोटि का ध्यान रखना पड़ता है जो की प्रैक्टिस करने से ही आएगा और ये सब तब ही सफल होगा जब आप अपने मन को साफ़ रखे शांत रखे
MORE
MORE
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
Please inform direct to admin if things are not proper