🌹ओम तत् सत् ओम🌹
ऐसा ज्ञान हमारा साधो,
ऐसा ज्ञान हमारा रे।।
जङ चेतन दो वस्तु जगत में,
चेतन मूल अधारा रे।
चेतन से सब जग उपजत है,
नहिं चेतन से न्यारा रे।।
ईश्वर अंश जीव अविनाशी,
नहिं कछु भेद विकारा रे।
सिन्धु-बिन्दु सूरज दीपक में,
एक ही वस्तु निहारा रे।।
पशु पक्षी नर सब जीवन में,पूरणब्रह्म अपारा रे।
ऊँचनीच जग भेद मिटायो, सब समान निर्धारा रे।।
त्याग ग्रहण कछु कर्तव्य नाहीं
संशय सकल निवारा रे।
ब्रह्मनंदरूप सब भासे, यह संसार पसारा रे।।
🙏🏻 जय गुरू देवा🙏🏻
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