"नाम" नागेश जय गुरुदेव (दीपक बापू)

मंगलवार, 29 मार्च 2016

गुरु से लगनी कठीन मेरे भाई

लगनी लाग्या विना पार नही पहोचे जीव प्रलय हो जाय गुरु से लगनी कठीन मेरे भाई.......(2)

मिरगा नाद शब्द  का भेदी शब्द  सुन्न कु गाई...(2)
सुन्त  ही नाद प्राण दान देवे..
देत शीश न डराई....(2)

गुरु से लगनी कठीन मेरे भाई....(2)

चातॅक स्वाथी बुंद का प्यासा....
पियु पियु रटलाई...(2)

निशदिन प्यास प्राण मरजाई.
अवर निर नही  भाई...
गुरु से लगनी कठीन मेरे भाई...(2)

दोई दिल आई खडा जब सनमुख..सूरा लेत लडाई...(2)
टुक टुक होई पडे धरणी पर..
खेत छांड्या नव जाई..
गुरु सै लगनी कठीन मेरे भाई..

सजी शिंगार सती जब निकशी..सत चडन कु जाई..(2)
पावक देखी ने डरे नही दिल मे..ए..कुद पडेछे मांही. .
गुरु सै लगनी कठीन मेरे भाई..(2)

छोडो आशा अपने तन की..
निरभे होई गुण गाई...

कहत कबिर शुनो भाई साधो..भव जल फेर न आई...

गुरु सै लगनी कठीन मेरे माई..


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