मै लिखुं अरजी किस नाम से,तेरा नाम ही नाम अनन्त है
मै लिखुं अरजी किस नाम से,तेरा नाम ही नाम अनन्त है॥टेक॥
सतयुग में सरियादे कुम्हारी, राम नाम की महिमा उचारी।
अग्नि झाल से बच्चा उभारी,भया राम नाम निज तन्त है।१।
ओम नाम की तिन है धारा,ब्रम्हा विष्णु ओर शिवप्यारा।
जिन्होने जगत रच दिया सारा,यू कहते वेद ओर सन्त है।२।
सत नाम कबीर जी ने ध्याया,बालद भर बणजारा आया।
मेवा मिष्ठाण सामग्री लाया,किया यज्ञ बे अन्त है।३।
मोरांची भजा गिरधर गोपाला,विष का हो गया अमृत प्याला।
स्वर्ण हार भये सर्प काला,पति भये शरमन्द है।४।
सहस्ञ नाम सभी एक सारा,क्योंकी समिरन एक ही तारा।
'जीवनराम'हृदय माहीम धारा,जपे राम नाम निज सन्त है।५।
"भगवान तुम्हारे चरणों में,नित ध्यान हमारा बना रहे
"भगवान तुम्हारे चरणों में,नित ध्यान हमारा बना रहे।सुबह शाम हर वक्त सदा ही हरी नाम हृदय से जमा रहे।१।
विघ्न विरोध बुराइयों से हमें सदा बचाते आ रहे।२।
ऐसी दया करो हम ऊपर सदा भजन मे लगे रहे।३।
'जिवनराम' शरण में तेरी भक्ती पद अधिकार रहे।४।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
Please inform direct to admin if things are not proper