"नाम" नागेश जय गुरुदेव (दीपक बापू)

बुधवार, 30 मार्च 2016

५ गुरु किसका होता है

 ५ गुरु  किसका  होता  है 

  गुरु  की  कोई  सीमा नहीं है! गुरु की कोई जात नहीं है गुरु का कोई एक देश नहीं है गुरु खुद एक देश एक विश्व एक ब्रह्माण्ड है! दास सत्तार की एक पंक्ति है जिसमे उसने फ़क़ीर की जानकारी दी है जो कुछ इस प्रकार है की

"वह है फ़क़ीर पूरा पारस जुबा हो जिसकी
और हो पदम कदम में बाकी सी अदा हो जिसकी"
छोटा बड़ा न कोई उसकी निगाह में होगा
नादान सा दिखे वह बच्चे सी जान हो जिसकी"

कुछ वैसा ही हिसाब किताब गुरु का भी है या यूँ कह सकते है की एक फ़क़ीर जो सभी का हीट ही चाहता है कोई उसके साथ में कैसा भी व्यवहार करे पर वह सबको ही तारता है! काफी बड़ी हद तक उसके लिए सभी सामान ही है!ठीक उसी प्रकार गुरु भी है! उसकी नज़र में सभी एक जैसे ही है! वह सभी में इश्वर के तत्व को ही देखता है! अगर आप ने कोई पाप किया है! तो इसका मतलब ये नहीं की गुरु आप को भगा देगा या आप को अपने पास नहीं बिठाएगा! वह बिठाएगा और आप को आप के किये हुए की प्रायश्चित भी कराएगा! सही मायने में देखा जाए तो गुरु किसी एक का न हो कर सर्वव्यापी है वह सभी का है किसी वास्तु से अंजान नहीं है ऐसा कोई सगुण नहीं जो उसमे न हो! इसीलिए गुरु को बंधन नहीं मुक्ति ही मानना चाहिए!

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