"नाम" नागेश जय गुरुदेव (दीपक बापू)

मंगलवार, 29 मार्च 2016

३ गुरु कब मिलता है

३ गुरु कब मिलता है


बहुत ही जल्दी इसकी परिभाषा अगर कर दूँ तो बहुत से लोगो का आडम्बर धरा का धरा रह जायेगा दुनिया कहती है की गुरु बड़े सौभाग्य से मिलता है मगर हक़ीक़त इसके एकदम विपरीत है मैं ऐसा नहीं कह रहा हूँ की गुरु दुर्भाग्य से मिलता है! परन्तु जब हमें गुरु मिलता है तब जो हमारी स्थिति होती है वह बड़ी ही दुर्भाग्यपूर्ण ही होती है! अब इसे कोई माने या न माने मगर हक़ीक़त तो यही है की जब हम बड़ा ही दुर्भाग्य पूर्ण जीवन व्यतीत कर रहे होते है या किसी बड़े मुसीबत में फंस जाते है! या किसी बड़े लालच में अपने आप को खो गए रहते है तभी गुरु के आगमन की भूमिका तैयार होती है मतलब गुरु के आने की तयारी हो जाती है! और ये गुरु या गुरु तक ले जाने वाला व्यक्ति पहले से हमारे बीच में ही होता है मगर कहते है ना "बगल में छोरा शहर में ढिंढोरा" बस वैसा ही कुछ हिसाब किताब है इसका भी! ज़रुरी नहीं है की वह आस पास ही हो कभी कभी ये अचानक कही भटक भी जाता है और हमारी स्थिति को भी भांप लेता है! चाहे जो समझो पर स्थिति यही होती है की करो या मरो वाली! और जब इस स्थिति में हम होते है तभी इस गुरु की कोई ऐसी बात हमें कान में पड़ती है जो हमारी दिशा पलट देती है! और गुरु का काम भी तो वही है की गलत दिशा में चल रहे व्यक्ति को सही सीधी दिशा में ले के जाना! ऐसा गुरु के शब्द कान में पड़ते ही हमारा मंथन शुरू हो जाता है! और जब हम उसके साथ दोबारा मिलते है या बातो को आगे बढ़ाते है तब जा कर के ये अध्यात्म का मार्ग खुलता है! और सही रूप में हम उस व्यक्ति को अपना गुरु मान लेते है! ऐसे गुरु की वाणी का जादू तो बस पूछो ही मत उसके पास ज्ञान का भंडार तो ऐसा जान पड़ता है की गूगल भी काम जानकारी समेटे हुए है! और आखिर क्यों लगे न गुरु होता ही गुण रूप है और यही कारन है यही ज़रिए है और यही वह परिस्थिति है जब गुरु मिलता है! बाकि दुनिया कुछ भी बोले कैसे भी बताये या कुछ भी समझाए पर पर प्रैक्टिकली खदु मैंने और जितनो से मिला हूँ उनकी भी सिचुएशन यही थी इसीलिए मुझे यही सही लगता है! या ऐसा भी कह सकते है की एक ये भी है! क्योंकि प्रकृति हमेशा अपने बिच अपवाद रखती है ही है! अब आगे देखेंगे की गुरु कहा होता है!

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