"नाम" नागेश जय गुरुदेव (दीपक बापू)

सोमवार, 28 मार्च 2016

“गुरु ”

“गुरु ”

गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुर्गुरुर्देवो महेश्वरः
गुरुरेव परं ब्रह्म तस्मै श्रीगुरवे नमः ॥१॥


!!गुरु तारो पार न पायो!! !!गुरु जी नी महिमा हु तो पल पल वखानु!! !!धन गुरु देवा मर धनगुरु दाता!! !!गुरु बिन कछु उपजे नहीं!! !!गुरु गोविन्द दोहु खड़े!!!
और न जाने क्या क्या लिखा हुआ है संतो, महात्माओ ने गुरु के बारे में की वखान करना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन जैसा लगने लग जाता है! जो शब्द हमारे दिमाग में घूमते है वह सभी शब्दों को पहले से संजोया गया है लिखने वाले लिख के चल दिए हम सिर्फ व्याख्या और वखान करते रह जाते है..

"गुरु गुरु गुरु"
ना जाने कौन से पुण्य कर्म किये जो जगह जगह गुरु का साक्षात्कार हुआ और हम बहुत से प्रोब्लेम्स से पर हो गए!  
गुरु के लिए मेरी एक शॉर्टकट डेफिनिशन है जिसको मैंने सोचा है समझा है और लिख रहा हूँ हम इसे और डिटेल करेंगे मगर पहले शार्ट-कट तो थोड़ा जान ले! गुरु को जानने के लिए पहले तो कुछ सवाल 
१ गुरु कौन है? २ गुरु क्या है? ३ गुरु कब मिलता है? ४ गुरु कहा होता है? ५ गुरु किसका होता है? ये पांच सवाल है जिसका जवाब भी गुरु के इर्द गिर्द ही होता है और इनके जवाब मिलने पर गुरु का मिलना बहुत ही आसान हो जाता है!  
इन सभी के जवाब मैं आप को निचे क्रम में लिख के दे रहा हूँ जो की मेरी समझ से है इसमें किसी और को कोई आपत्ति हो तो मुझे संपर्क कर सकता है!

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