"नाम" नागेश जय गुरुदेव (दीपक बापू)

शनिवार, 2 अप्रैल 2016

मानव मस्तिष्क कैसा है

मानव मस्तिष्क कैसा है इसकी कोई ज्यादा जानकारी नही है मुझे क्योंकि मैंने जितना देखा है उतना यही पाया की दुनिया में मानव जाती के मस्तिष्क की कोई सीमा एक्चुअली है ही नहीं उसकी सोच ही हमारी आज की प्रगति है, हमारे आस पास जो भी वस्तुएँ दैनिक काम में आ रही है उसका बहुत बड़ा भाग मनुष्य मस्तिष्क के सोच की उपज ही है इसीलिए इसको इतना बारीक़  ढंग से समझ पाना या समझा पाना बहुत ही मुश्किल है फिर भी मैं अपने शब्दों में उसे यहाँ वर्णित करने की कोशिश कर रहा हूँ !
मेरे हिसाब से मानव को एक २ नहीं बल्कि ५ भाग में मैंने बांटा है जो सार सहित निम्न है 
१) प्रथम व्यक्ति विशेष 

मैंने किसी भी प्रकार के व्यक्ति को कोई नाम नहीं दिया है वह खुद सुझा देना पढ़ के 
मुझे इस व्यक्ति के बारे में ऐसा लगता है की यह व्यक्ति हमेशा सिर्फ दिखावा करता रहता है उसे ना खुद की पड़ी होती है ना किसी और की वह कोई भी निर्णय यूँ ही ले लेता है जिसका कोई लेना देना नहीं है उसका कोई मतलब भी नहीं होता है की उसे हम मतलबी कह सके उदहारण के तौर पे जैसे कुछ लोग मिलकर कहीं चलचित्र देखने जा रहे है और उसको पूछा जाये तो वह भी अपना दूसरे काम छोड़ के चल देगा जब की उसे उस मूवी में कोई इंटरेस्ट भी नहीं होता है  फिर भी बस लो जा रहे है तो चलो चल देते है अपना नुक्सान कर के बेमतलब सिर्फ चल देना होता है इसको! अच्छा और इसके जाने से भी किसीको कोई ख़ुशी नहीं होती है की चलो फलाना आदमी अपने साथ आया है तो मज़ा आएगा या टाइम पास होगा ऐसा भी कुछ नहीं होता है ये पूरी तरह से निरर्थक ही होता है इसकी नज़र में सभी इसका सम्मान करते हुए लगते है मगर एक्चुअली ऐसा कुछ भी होता है ही नहीं न उसका सम्मान है न ही उसका अपमान है न ही उसके निर्णय की कोई वैल्यू है न ही उसकी बातो में दम है उसकी कोई वस्तु ऐसी नहीं होती है जिसके बारे में एक भी बार सोचा जाए पर वह व्यक्ति अपने आप में सर्वोपरि ही होता है उसका लाइफ जीना बोले तो किसी काम का नहीं है व्यक्ति को परिवर्तन तो चाहिए पर अपने आप में नहीं बाकि लोगो में उसे जैसा रहना है वैसा ही रहना है उसको कोई मतलब नहीं आस पास में क्या हो रहा है या उसे क्या करना चाहिए जिसके कारन उसका नाम हो या उसके काम बने उसको कोई मतलब नहीं रहता है दिशाहीन जानवर की तरह वह बस यहाँ वहा फिरता रहता है 

इस व्यक्ति के अंदर किसी प्रकार की कोई स्वयं की इक्षा होती ही नहीं है या दूसरे शब्दों में कह सकते है की यह व्यक्ति कोई इक्षा कर ही नहीं सकता है इसका कारन यह है की इस व्यक्ति विशेष की दिलचस्पी कही नहीं होती है इसे ऐसा ही लगता है की समय काटना है चाहे वह जैसे कटे अर्थ के या बिना अर्थ के ऐसे व्यक्ति में परिवर्तन लाना काफी मुश्किल होता है इस प्रकार के व्यक्ति में परिवर्तन लाने के उपाय मेरे तरीके से मैं आगे चल के अंत में बताऊंगा!

२) द्वितीय व्यक्ति विशेष 

द्वितीय व्यक्ति, यह व्यक्ति प्रथम व्यक्ति से गुणों में थोड़ा सा ऊपर होता है! यह व्यक्ति अपना फायदा जानता तो है पर इसमें यह खामी होती है की यह किसी को "ना" नहीं बोलता है यह गुण और भी टाइप में है मगर इसको बाकियो से अलग किया जा सकता है, 'क्योंकि भले ही यह व्यक्ति ना नहीं बोलता परन्तु दिए हुए कार्य को इस तरह से करेगा की वह कार्य होगा नही' उल्टा जिसने कार्य दिया उसका भी नुकसान इसका खुद का भी नुकसान और दोबारा इस व्यक्ति को आप कुछ बोलेंगे ऐसा भी नहीं होगा इन्फैक्ट आप ऐसा कुछ सोचोगे भी नहीं इस व्यक्ति की आदत होती है अच्छा बन के दिखाने की पर ये निर्णय नहीं ले पाता है की ऐसा क्या करे जिस काम को करना स्टार्ट करता है उसमे इसे ऐसा लगता है की इसके साथ छल हो रहा है इसके भोलेपन का फायदा उठाया जा रहा है और इसका माइंड तुरंत चेंज हो जाता है,
   अच्छा! चेंज होकर ये ऐसा नहीं है की सामने वाले को ना बोल देगा ये तुरंत उसके साथ में रिवेंज (बदला) लेने की ठान लेता है की चल अब तुझे बताता हूँ की मेरा फायदा उठाने वाले के साथ क्या होता है और इस बदले के चक्कर में वह सामने वाले के साथ साथ खुद के नुकसान को भी न्योता दे देता है
   ऐसे व्यक्ति काम धंधे के मामले में कुछ हद्द तक सफल होते है !! आप सोच रहे होंगे की ऐसा कैसे हो सकता है मगर यह सच बात है की ये व्यक्ति अपने  जीवन काल में खुद के लिए या कह सकते है की अपने परिवार भर के लिए तो काम कर ही लेते है समाज का भला हो न हो देश का भला हो ना हो परन्तु स्वयं का तो उद्धार कर ही लेते है ! इसमें इनकी कोई गलती या समझदारी नहीं होती है  बल्कि इनमे खुद का भला करने की थोड़ी सी लालसा होती है जो थोड़े से मेहनत से पूरी हो जाती है करके ये लोग उसे कर लेते है और और जीवन निर्वाह कर लेते है

  इस व्यक्ति को भी चेंज किया जा सकता है उसके भी अपने नियम है अपने कायदे कानून है जो आगे चल के हम देखेंगे। ..


३) तृतीय व्यक्ति विशेष 

यह व्यक्ति ऊपर लिखे हुए दोनों मानव से श्रेष्ठ होता है इन-फैक्ट इसे आप साधारण भाषा में मध्यम प्रकार का व्यक्ति कह सकते है जो बहुत हद्द तक सुलझा हुआ होता है

यह व्यक्ति पढाई, खेल-कूद, जनरल नॉलेज जैसी बातो में सामान्य तौर पे एक हद्द तक जानकारी रखता है इसके तर्क विशेष ही इसकी खासियत होती है यह व्यक्ति सामान्य तौर पे बहुत ही जल्दी अपनी जगह बन लेता है परन्तु अपने तर्क विशेषता के कारन बहुतो को ये खटकने लगता है और १० में से ८ लोग तो इसे अपनी नज़रो से उतार देते है! ये नज़रो से उतारने वाले और कोई नहीं बल्कि हमारे द्वितीय प्रकार वाले व्यक्ति ही है जिन्हे इनकी बाते हज़म नहीं होती है इसी कारन हमारे ये तृतीय पुरुष बहुत ज्यादा घनी आबादी में अच्छे लोगो से व्यवहार होते हुए भी काफी समय अपने आप को अकेला महसूस करते है और यही अकेला-पन उनके लिए कभी कभी negitivity का कारन बन जाता है और वह व्यक्ति तनाव में चला जाता है और यही व्यक्ति यदि अपने आप को थोड़ा सा और सहज बनाने की और जाए तो उत्तम प्रकार के व्यक्तियों में इसकी गणना हो सकती है
इस व्यक्ति को समझाना थोड़ा आसान है बास तर्क सहित इसे यदि समझा दिया जाए तो बहुत ही जल्द यह अपने टारगेट को पा सकता है  और बहुत ही अच्छी तरीके से.

४) चतुर्थ व्यक्ति विशेष 

उपर्युक्त तीनो ही व्यक्ति विशेष से ज्यादा समझदार ज्यादा सुलझा हुआ और काफी हद्द तक समृद्ध मानव होता है ये !  यह व्यक्ति हर चीज़ को समझने के साथ साथ परखने की ताकत भी रखता है इसके अंदर अजीब सा तेज़ होता है यह व्यक्ति बहुत तरीके के गुणों का धनी माना जा सकता है ! यह व्यक्ति जिस क्षेत्र में अपने आप को झोंकता है वहा पे अपना १००% देता है! और यही ख़ासियत उसे उपर्युक्त तीनों तरह के व्यक्तियों से अलग करती है और यही कारन है उसकी सफलता का जिसके कारन वह सहज रूप से अपने कार्यो को सिद्ध कर लेता है
है ! इस तरह के व्यक्ति ज्यादातर या तो धनि हो जाते है और विषय में खो के अपना नाश करना शुरू कर देते है या तो ०(शुन्य) से उठकर अपने आप को बुलंदियों पे ले जाते है और मिशाल बन जाते है! "मिशाल, गिरने वाले भी बनते है बस एक ख़राब अनुभव के तौर पे !!
     शुन्य से उठकर अपने लक्ष्य को पाने वाला व्यक्ति अपने परिवार के लाभ पोषण से ज्यादा महत्ता अपने समाज अपने देश को देता है, इसका मतलब यह नहीं है की वह अपने परिवार के प्रति कम आकर्षित है या कठोर है वह सभी को सही अनुपात में लेके चलता है और हर किसी के साथ में बड़ा ही आदरपूर्ण व्यवहार रखता है !
इस व्यक्ति में इतनी क्षमता होती है की ये अपने साथ साथ दूसरे लोगो को भी आगे बढ़ने का अवसर प्रदान करता है! इसमें सब से बड़ी ख़ासियत होती है समय पे "ना" बोलने की, ये ना बोलने की आदत इसकी इसको औरो से थोड़ा अलग तो करती है मगर कुछ समय के लिए ही! यह व्यक्ति अपने आप में एक मिशाल होता है !
जो काम किसी मतलब का नहीं है या जिस काम को करने से सामने वाला काम-चोर हो या गलत दिशा में जा रहा हो उसके लिए इसके पास हमेशा "ना" ही होगा, ये व्यक्ति सीधी और सरल भाषा का ही उपयोग करता है और जल्दी किसी को अपनी सलाह नहीं बाँटता है!
   यह व्यक्ति जैसा की हमने देखा की धनि हो तो नाश की तरफ  भी जाता है मगर ये सिचुएशन कुछ कुछ जगह पे ही देखने मिलती है ये जरुरी नहीं है की हर बार ऐसा ही हो या ऐसा ही होता रहेगा!   इस तरह के व्यक्ति धर्म, समाज के लिए अपनी  पूंजी का अच्छा हिस्सा दान करते है! दान नहीं  भी करे तो इस तरह की कोई आर्गेनाईजेशन ट्रस्ट आदि  खोलते है जिसके कारन समाज के निचले तपके के लोग या जरुरत मंद लोगो को सहायता हो सके
   यह व्यक्ति दयालु किस्म का भी होता है इसे दूसरे के दुःख से दुःख होता है ! दूसरे के सुख से ख़ुशी होती है कारोबार में जिसके साथ इसका मुकाबला  होता है उसके जीत में भी इसकी सच्ची ख़ुशी ही होती है इसे कोई ग़म नहीं होता है किसी के भले के लिए अगर खुद का कुछ नुकसान भी करना पड़े तो यह नहीं चुकता है!
इस प्रकार के व्यक्ति में ख़ासियत इतनी होती है की पूछो मत !  इसे पहचान पाना  मुश्किल होता ही नहीं है! इसके गुण इसके मुख पे दीखते है ! ये मनुष्य धर्म की और झुके तो बहुत बड़े लेवल पे धार्मिक  पुरुष के तौर पे प्रसिद्द हो सकता है! जिस क्षेत्र में यह जायेगा वहा पे अपनी छाप छोड़ देता है!

इस तरह के व्यक्ति जो ३रे श्रेणी से ४थे श्रेणी में प्रवेश कर के मिशाल बने है समाज के लिए उनमे बहुत से कारोबारी खिलाडी बाबा लोग शामिल है यहाँ किसी का नाम नहीं ले सकता हूँ परन्तु यदि किसी को चाहिए तो पर्सनेल मैसेज में  बता दूंगा आप स्वयं उनकी जीवनी पढ़ के समझ जायेंगे !


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