"नाम" नागेश जय गुरुदेव (दीपक बापू)

सोमवार, 4 अप्रैल 2016

""""""""""प्रार्थना के स्वर """""""

""""""""""प्रार्थना के स्वर """""""
मैं खोज रहा हूं तुम कहां हो प्यारे .......
तुम पलक झुकाके देखो प्यारे 
मैं तो हूं भीतर सदा तुम्हारे मैं खोज ...........
सुरज की किरणों से फैला,मेरे तन का उजयारा 
धरती के आंचल में लिपटी ,बुन्द बुन्द जल की धारा ....मैं खोज ....
गगन रूप घर वायु से मैं ,अमना साज बजाता हूं 
सात स्वरों में बांध के रचना गीत सुनाता हूं ...मैं खोज 
वायु सब तत्वों को बांधकर ,मुझे से मिलने आती है 
जब तक रहता मे प्राणी में ,वो मुझको खेल दिखती है ..मैं खोज 
संसार की सारी रचना का ,आधार तुम्हें दिखलाऊगाँ 
कांटो में फूल बतलाऊगांमें राह तुम्हें दिखलाऊगां ...मैं खोज 
स्वास रूप में आता हूं और स्वास रूप में में जाऊंगा 
इक बूंद से निर्मित रचना को ,अपना वैभव दिखलाउगां ..मैं खोज ........
मेरी बगिया के माली तुम ,सहयोग का हाथ बढा़ देना 
फिर तू मेरा मैं बन तेरा तुझे रूप दिखलाऊगां ...मैं खोज 

मुल स्वरूप की यात्रा 
१मैं शरीर नहीं हूं इसका सु:ख मेरा नहीं है!
२मैं कौन हूं कहां से आया हूं मुझे कहा जाना।

Saint Nagesh Sharma  સંત નાગેશ    संत नागेश 

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