आवी आवी अलंख जगायो (त्रिकंमदास)
आवी आवी अलंख जगायो..एवो अमारे महोले उतर दिशा थी एक रमतो जोगी..आयो.हो...हो....(2) हे....वालीडा रै मारा......सत केरी सुई ने शब्द ना...रे धागा.....रै.....हो..हो..जी.. (2) ए...खलको रे खुब बनायो..एवो अमारे महोले... उतर दिशा थी एक रमतो जोगी आयो...हो....जी.. हे... वालीडा रै मारा.....पेरण पिताबंरने केशरीया वाघा..रै अने हो...हो...जी..(2) ए केशर तिलक लगायो... एवो अमारे महोले..उतर दिशा थी एक रमतो जोगी आयो..हो...जी.... हे.. वालीडा रै मारा...ई रे जोगीडा ने जरा मरण ना आवे....अने हो...जी..(2) ए...नही रै आयो नही जायो.. एवो अमारे महोले....उतर दिशा थी एक रमतो जोगी आयो...रै.. हे...वालीडा रै मारा......त्रिकंमदास रै खिमं केरे चरणे रे...अने हो..हो..जी.. हरख हरख गुणला गायो.. एवो अमारे महोले उतर दिशा थी एक रमतो जोगी आयो..हो..जी... आवी आवी अलंख जगायो................🌺👏🏻
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